शहरी क्षेत्रों के लिए श्रम अधीक्षक तो ग्रामीण क्षेत्रों के लिए श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी जिम्मेवार हैं। अब तक 27 लाख श्रमिकों का निबंधन हो चुका है। लेकिन विभाग का मानना है कि राज्य में निर्माण श्रमिकों की संख्या बहुत अधिक है।
अगले साल मार्च तक बिहार के 13 लाख निर्माण श्रमिकों का निबंधन होगा। श्रम संसाधन विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है। इसके लिए विभागीय अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये गये हैं। लक्ष्य की पूर्ति के लिए विभाग की ओर से पंचायत स्तर पर विशेष कैंप लगाए जाएंगे। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, भवन निर्माण या सड़क निर्माण कार्य में संलग्न कामगारों का निबंधन होता है। कुल 20 तरह के काम करने वाले कामगारों में 18 से 60 वर्ष की आयु के श्रमिकों का निबंधन तभी होता है, जब वे एक साल के भीतर कम से कम 90 दिन काम कर चुके होते हैं। निबंधन शुल्क 20 रुपए है। पांच साल के निबंधन के लिए 50 रुपए शुल्क तय किया गया है।
शहरी क्षेत्रों के लिए श्रम अधीक्षक तो ग्रामीण क्षेत्रों के लिए श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी जिम्मेवार हैं। अब तक 27 लाख श्रमिकों का निबंधन हो चुका है। लेकिन विभाग का मानना है कि राज्य में निर्माण श्रमिकों की संख्या बहुत अधिक है। इसलिए विभाग ने अधिक से अधिक निर्माण श्रमिकों का निबंधन कर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ देने का निर्णय लिया है। पंचायतों में लगने वाले कैंप में मजदूरों का न केवल निबंधन होगा बल्कि पहले से निबंधित मजदूरों का रिन्यूअल भी किया जाएगा। इस काम में जनप्रतिनिधियों की भी सहायता ली जाएगी।
श्रम संसाधन विभाग के सचिव दीपक आनन्द ने कहा कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में 13 लाख श्रमिकों के निबंधन का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए विभागीय अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिया जा चुका है। जल्द ही पंचायत स्तर पर कैम्प लगाए जाएंगे।
निबंधित श्रमिकों को मिलती है सरकारी सहायता
राज्य के निबंधित श्रमिकों को सरकार की ओर से कई तरह की सहायता दी जाती है। इसके तहत वार्षिक चिकित्सा सहायता, औजार क्रय अनुदान, विवाह सहायता, भवन मरम्मत, नकद पुरस्कार सहित 14 तरह की सहायता दी जाती है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 21 लाख लोगों को सहायता दी गई थी। वहीं वित्तीय वर्ष 2021-22 में नौ लाख 96 हजार 233, वित्तीय वर्ष 2022-23 में एक लाख 62 हजार, 2023-24 में एक लाख नौ हजार 638 तो मौजूदा वित्तीय वर्ष 2024-25 में 49 हजार से अधिक लोगों को सहायता दी जा चुकी है।