भारतीय जनता पार्टी ने यूपी की उपचुनाव सीटों के लिए प्रत्याशियों की सूची जारी की है, जिसमें सात में से चार ओबीसी चेहरे शामिल हैं। भाजपा ने पिछड़े वर्ग को तरजीह दी है, जबकि गाजियाबाद और कुंदरकी सीटों पर…
-भाजपा ने टिकट वितरण में पिछड़ों को दी तरजीह, सात में से चार ओबीसी चेहरे -गाजियाबाद व कुंदरकी सीट पर सामान्य तो खैर सुरक्षित सीट से दलित उम्मीदवार
-लोकसभा टिकट से वंचित रहे दो पूर्व सांसदों के बेटों को फूलपुर-खैर से टिकट
लखनऊ। विशेष संवाददाता
भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार को उपचुनाव वाली सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया। केंद्रीय चुनाव समिति की मंजूरी के बाद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने यूपी की उपचुनाव वाली सीटों में से सात पर उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। हालांकि सीसामऊ सीट पर अभी पेंच फंसा हुआ है। इस कारण वहां उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया है। जबकि मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट भाजपा ने अपने सहयोगी रालोद के लिए छोड़ी है। पार्टी ने टिकट वितरण में पिछड़े वर्ग से आने वाले चेहरों को तरजीह दी है।
यूपी की 10 रिक्त विधानसभा सीटों में से नौ पर उपचुनाव हो रहे हैं। शुक्रवार को नामांकन का अंतिम दिन है। भाजपा द्वारा घोषित सूची के अनुसार कुंदरकी सीट पर रामवीर सिंह ठाकुर और गाजियाबाद में संजीव शर्मा को प्रत्याशी बनाया गया है। संजीव अभी गाजियाबाद भाजपा के महानगर अध्यक्ष हैं। अलीगढ़ की खैर सुरक्षित सीट से हाथरस के पूर्व सांसद राजवीर दिलेर के पुत्र सुरेंद्र दिलेर को उतारा गया है। राजवीर दिलेर को लोकसभा का टिकट इस बार नहीं मिल पाया था। चुनाव के दौरान ही उनका निधन हो गया था।
करहल में अखिलेश के रिश्तेदार पर दांव
अखिलेश यादव के इस्तीफे से रिक्त हुई करहल सीट पर भाजपा ने इस बार सपाई वोट बैंक माने जाने वाले यादव पर दांव लगाया है। वहां अनुजेश यादव को प्रत्याशी बनाया गया है। अनुजेश सपा मुखिया अखिलेश यादव के रिश्तेदार हैं। वे सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के सगे बहनोई हैं। फूलपुर सीट पर पूर्व सांसद केशरी देवी पटेल के पुत्र दीपक पटेल पर पार्टी ने दांव लगाया है। केशरी देवी का भी टिकट इस बार पार्टी ने काट दिया था। कटेहरी विधानसभा सीट पर भाजपा ने धर्मराज निषाद को प्रत्याशी घोषित किया है। वे बसपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। जबकि मझवां सीट पर पूर्व विधायक सुचिस्मिता मौर्या टिकट पाने में सफल रही हैं।
लोकसभा चुनाव से लिया सबक
लोकसभा चुनाव में चुनावी तिथियों के ऐलान से पहले प्रत्याशी घोषित करने वाली भाजपा ने इस बार उम्मीदवारों के ऐलान में बेहद फूंक-फूंककर कदम रखा है। जल्द प्रत्याशी घोषित करने का भाजपा को नुकसान हुआ था। भाजपा की सूची के हिसाब से विपक्ष ने अपनी रणनीति और लड़ाके दोनों बदल दिए थे।
जातीय समीकरण