राज्य उपभोक्ता आयोग ने मूल आवंटी को 42 वर्ष बाद भी प्लॉट न देने, दूसरे को आवंटित करने, मूल पत्रावली गायब करने के आरोप में लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की रकम मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा की जाएगी। पीड़ित को मानसिक प्रताड़ना के बदले 25 लाख तथा मुकदमा खर्च 50 हजार रुपये अदा करने का आदेश दिया है। यह रकम 30 दिन में भुगतान न करने पर मुकदमे की तिथि से 10 फीसदी ब्याज के साथ देना होगा। आयोग ने एलडीए को आदेश दिया है कि वह पीड़ित को हाईकोर्ट लखनऊ पीठ से तीन किलोमीटर के दायरे में गैरविवादित दूसरा प्लॉट आवंटित करे। यह फैसला राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यामूर्ति अशोक कुमार की पीठ ने सुनाया है।
मुकदमे के अनुसार कुर्मांचल नगर निवासी गिरीश पंत ने एलडीए की गोमती नगर योजना में 19 नवंबर 1982 को प्लॉट के लिए रजिस्ट्रेशन शुल्क 3000 रुपये जमा किया था। एलडीए ने उन्हें विभव खंड में 200 वर्ग मीटर का प्लॉट नंबर 1/326 1985 में आवंटित किया। गिरीश ने 29 जुलाई 1985 को एलडीए द्वारा बताई गई रकम जमा कर दी। बाकी रकम 48825 रुपये दो मार्च 1988 को जमा की गई। इसके बावजूद एलडीए ने रजिस्ट्री नहीं की। गिरीश लगातार एलडीए दफ्तर के चक्कर लगाते रहे। दर्जनों पत्र एलडीए, शासन को लिख रहे। इस बीच एलडीए ने यह प्लॉट किसी दूसरे को आवंटित कर दिया। एलडीए ने गिरीश पंत की शिकायतों के बाद उन्हें गोमतीनगर विस्तार में इसके बदले प्लॉट देने का वादा किया। गिरीश इस पर भी सहमत हो गए। जिस प्लॉट को एलडीए ने आवंटित किया था, वह कब्रिस्तान की बाउंड्री से सटा हुआ था और टेढ़ा था। पैमाइश में तहसील ने इसे कब्रिस्तान की जमीन बताया। जब कहीं से न्याय की आस नहीं दिखी तो गिरीश पंत ने उपभोक्ता आयोग में मुकदमा दाखिल किया। कई सुनवाइयों के बाद एलडीए आयोग में उपस्थित हुआ। जवाब दिया कि गिरीश पंत को प्लॉट आवंटन की मूल पत्रावली गायब हो गई है। गोमती नगर विस्तार में दूसरा भूखंड आवंटित किया गया है।
आयोग ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर माना कि एलडीए ने गड़बड़ी की है। मूल आवंटी को भूखंड की रजिस्ट्री करने के बाजय किसी दूसरे को कर दिया। पत्रवली जानबूझकर गायब की गई। इसे घोर लापरवाही मानते हुए आयोग ने भारी जुर्माना लगाया। आयोग ने एलडीए चेयरमैन, प्रमुख सचिव नगर नियोजन को भी कार्रवाई के लिए आदेश दिया है। मुख्य सचिव से एक आदेश का अनुपालन कराने की अपेक्षा की है।