
विंध्य ज्योति/ संवाददाता राजन जायसवाल
कोन/सोनभद्र ।वन रेंज कोन अन्तर्गत इन दिनों काफी चर्चा का विषय बना हुआ। जहाँ एक तरफ वन माफियाओं के हौसलें इतने बुलंद हैं कि संबंधित विभाग अपने आप को असहाय महसूस कर रहा है या फिर उनकी मौन सहमति से क्षेत्रों में कार्य चल रहा है। ताजा मामला वन रेंज कोन के सेक्सन् कोन अन्तर्गत चांचीकला / नरहटी का है जहाँ लोग स्थानीय कर्मचारी की मिलीभगत से वन भूमि पर घर तक बना ले रहे हैं । जिसके क्रम में स्थानीय निवासी अंगद, प्रदीप, मानिकचंद , इंद्रदेव, विनोद, नन्द लाल आदि लोगों ने वन विभाग के स्थानीय कर्मचारियों के ऊपर हरे पेड़ों की कटान करवाकर वन भूमि पर कब्जा व धन उगाही करने का आरोप लगाया है। जबकि शिकायतकर्ताओं द्वारा विभाग को बार बार अवगत कराया जा रहा है फिर भी वन विभाग मौन है। नाम न छापने की शर्त पर स्थानीय लोगोँ ने बताया कि कोन वन रेंज में वन माफियाओं के सामने नतमस्तक हैं जहाँ क्षेत्रों में वन भूमि पर कब्जा व क्षेत्रों में अबैध खनन, परिवहन व कीमती पेड़ों की कटान व बबूल की पेड़ की आड़ में कीमती पेड़ों का परिवहन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर फल फूल रहा है। जिसे विभाग की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसी क्रम में बतातें चलें कि वन रेंज कोन के कोन, बागेसोती , भालुकूदर, हर्रा में वन भूमि पर अबैध कब्जा करना जारी है वहीं विभाग कार्यवाही के नाम पर शिकायतकर्ताओं से लिखित शिकायत करने की बात कर पल्ला झाड़ लेते हैं ।जब लिखित शिकायत की जाती है तो संबंधित जाँच अधिकारी द्वारा घर बैठे बैठे माफियाओं के बचाव पक्ष में जाँच आख्या लगा दी जाती है। आखिर सबसे बड़ा सवाल उठता है कि संबंधित विभाग इन माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं करता जबकि भ्रस्टाचार के मामले में प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री का स्पस्ट निर्देश है कि प्रदेश सरकार माफियाओं को मिट्टी में मिलाने के कटिबद्ध है। वहीं दूसरी तरफ कुछ जानकारों का कहना है कि प्रदेश के मुखिया का जीरो टालरेंस की नीति प्लाप् साबित हो रहा है। इस बावत प्रभागीय वनाधिकारी ओबरा से मोबाइल पर सम्पर्क किया गया जिसके क्रम में उन्होंने क्षेत्रीय वनाधिकारी को अवगत कराने को कहा । तदोपरांत वन क्षेत्राधिकारी कोन के मोबाइल पर सम्पर्क करने की कोशिश की गई किन्तु कॉल रिसीव नहीं हुआ।बहरहाल प्रभागीय वनाधिकारी ने कार्यवाही कराने का आश्वासन जरूर दिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि कार्यवाही होता है या कागज तक सिमट कर रह जाता है।

