संवाददाता।मिथिलेश कुमार भारद्वाज
डाला सोनभद्र। स्थानीय बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र के अंतर्गत बारी डाला में स्थित पट्टा धारक सुरेश चंद्र गिरी के संचालित खदान अक्सर चर्चाओं में बनी रहती है।चर्चाओं में बने रहने का आशय यह है कि कभी मानक के विपरित खनन तो कभी बिना सेफ्टी सुरक्षा के ही हाइट पर मजदूरों को कार्य करवाए जाते हैं
जिसकी चर्चाएं दबे आवाज में ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अक्सर देखने को मिल जाती हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में संचालित पट्टा सुरेश चंद्र गिरी खदान में बेतरतीब ढंग से हो रहे खनन से बड़े पैमाने पर टीपरो द्वारा बोल्डर लोड करके परिवहन जारी है।मानकों की बात करें तो पत्थर खदानों की गहराई को लेकर मानक तय हैं फिर भी यदि गहरी पत्थर खदानों में खनन स्वीकृति होती हैं तो उसमें कठोर नियमों के पालन के निर्देश होते हैं। खनन नियमावली 1957 के अनुसार जिनमें पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन,सुरक्षा उपाय,खदान के आकार, श्रमिकों की सुरक्षा,वायु प्रदूषण,जल प्रदूषण आदि को ध्यान में रखना होता है लेकिन पत्थर खदान में देर शाम तक परिवहन से राजस्व का बड़े पैमाने पर खननकर्ताओं द्वारा गमन किया जा रहा हैं लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण अवैध खनन जोरों पर जारी हैं।बात विभागीय शिकायतो का करें तो शिकायतो के बाद महज खानापूर्ति ही होती हैं जबकि हकीकत कुछ और ही है।गहरी खदान में बड़े बड़े पोकलेन मशीनों का प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा हैं।नियमननुसार अवैध खनन को लेकर शासन व प्रशासन का शख्त निर्देश है कि खनन नियमावली के अनुसार खनन क्षेत्रो में अंधेरा होने के बाद किसी भी मजदूर या मशीनों का खादान के अंदर प्रयोग बंचित है किंतु इसके विपरित धड़ल्ले से कार्य को अंजाम दिया जा रहा है जिससे सरकार की छवि धूमिल किया जा रहा है।