वाराणसी में बीएचयू ने 4 नवंबर से ठोस कचरा प्रबंधन अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। इस अभियान के तहत परिसर के घरों से कचरा एकत्रित कर गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग किया जाएगा। जैविक कचरे से कंपोस्ट…
वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। परिसर और स्वच्छ और सुंदर रखने के लिए बीएचयू ठोस कचरा प्रबंधन अभियान शुरू करेगा। 4 नवंबर से शुरू होने वाले इस अभियान के तहत परिसर के हर घर से कचरा एकत्र कर सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग किया जाएगा। गीले और जैविक कूड़े से कंपोस्ट तैयार होगा जबकि सूखे और रासायनिक कूड़े को भी सही तरीके से निस्तारित किया जाएगा। बीएचयू की सफाई एवं सहायक सेवाएं इकाई द्वारा आरंभ किये जा रहे इस अभियान के अंतर्गत विभाग के कर्मचारी हर सुबह प्रत्येक घर से कचरा एकत्रित करेंगे। इस अभियान के तहत स्रोत पर ही कचरे को उसके प्रकार के आधार पर अलग-अलग किया जाएगा। सफाई एवं सहायक सेवाएं इकाई इस संबंध में विश्वविद्यालय परिसर में रहने वालों को जागरूक कर रही हैं। लोगों को बताया जा रहा है कि जैविक कचरे जैसे बचा हुआ भोजन, सब्ज़ियां, छिलके आदि को हरे रंग के कूड़ेदान में डालें। इससे खाद तैयार की जाएगी। दूसरी तरफ प्लास्टिक, धातु, कांच आदि को नीले रंग के कूड़ेदान में डाला जाए। रसायनिक व इलेक्ट्रॉनिक कूड़े के लिए लाल रंग के डस्टबिन बनाए गए हैं। स्वच्छता एवं सहायक सेवाएं इकाई के आचार्य प्रभारी प्रो. सरफराज़ आलम ने बताया कि विश्वविद्यालय में अनेक स्थानों पर कम्पोस्टिंग पिट बनाए गए हैं, जिनमें घरों, छात्रावासों, कैंटीन से निकले जैविक अपशिष्ट को डालकर प्रभावी ढंग से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन किया जा सके।
हर दिन निकलता है चार टन कूड़ा
वाराणसी। एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय होने के कारण बीएचयू से हर दिन बड़ी मात्रा में कूड़ा निकलता है। परिसर में लगभग दो हजार आवास और 80 छोटे-बड़े छात्रावास हैं। स्वच्छता एवं सहायक सेवाएं इकाई के आचार्य प्रभारी प्रो. सरफराज़ आलम ने बताया कि परिसर से हर दिन लगभग चार टन कूड़ा निकलता है। आवासीय परिसर और हॉस्टलों से निकलने वाला ज्यादातर कूड़ा जैविक श्रेणी का होता है। इसकी कंपोस्टिंग कर खाद तैयार की जा सकती है। जिससे बीएचयू परिसर में हरियाली बढ़ाने के साथ ही शहर में बागबानी के शौकीनों को भी विक्रय किया जाएगा।