यूपी के वाराणसी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए बन रहे देश के पहले रोप-वे को लेकर रार ठन गई है। स्थानीय भाजपा विधायक नीलकंठ तिवारी और रोप-वे की कार्यदायी संस्था की प्रोजेक्ट मैनेजर पूजा मिश्रा इसे लेकर आमने-सामने हो गए हैं।
यूपी के वाराणसी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए बन रहे देश के पहले रोप-वे को लेकर रार ठन गई है। स्थानीय भाजपा विधायक नीलकंठ तिवारी और रोप-वे की कार्यदायी संस्था राष्ट्रीय राजमार्ग लॉजिस्टिक प्रबंधन लिमिटेड (एनएचएलएमएल) की प्रोजेक्ट मैनेजर पूजा मिश्रा इसे लेकर आमने-सामने हो गए हैं। भाजपा विधायक गोदौलिया चौराहे पर प्रस्तावित रोप-वे स्टेशन शिफ्ट कराना चाहते हैं लेकिन प्रोजेक्ट मैनेजर से शिफ्ट करने से साफ इनकार कर दिया है। हफ्तेभर पहले विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी ने जिलाधिकारी के साथ मौके का निरीक्षण करके स्टेशन हटाने का अनुऱोध किया था।
एनएचएलएमएल की प्रोजेक्ट मैनेजर पूजा मिश्रा ने कहा कि डिजाइन फाइनल होने के बाद स्थल परिवर्तन करना संभव नहीं है। डीपीआर के आधार प्रोजेक्ट में इस्तेमाल होने वाले सभी संसाधन और सामान का ऑर्डर दिया जाता है। प्रोजेक्ट के लिए नट-बोल्ट से लेकर गंडोला तक स्विट्जरलैंड से लाया जा रहा है। वहां ऑर्डर पर सभी निर्मित हो चुके हैं। ऐसे में सामानों को रोकना संभव नहीं है।
मार्च 2023 में कैंट स्टेशन से गोदौलिया चौराहे के बीच 3.75 किमी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए रोप-वे का शिलान्यास हुआ था। उसी दौरान कैंट, भारत माता मंदिर, रथयात्रा, गिरजाघर और गोदौलिया चौराहे पर प्रस्तावित स्टेशन का मॉडल भी जारी किया गया था। मार्च-2025 में रोप-वे के ट्रायल का लक्ष्य रखा गया है।
आठ अक्तूबर को मुख्यमंत्री की सर्किट हाउस की बैठक में जनप्रतिनिधियों की ओर से गोदौलिया चौराहे पर रोप-वे स्टेशन निर्माण पर आपत्ति जताई गई। मुख्यमंत्री ने डीएम को निर्देश दिया था कि जनप्रतिनिधियों के साथ मौका मुआयना के बाद निर्णय करें। हफ्तेभर पहले विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी ने डीएम और कार्यदायी संस्था के अधिकारियों के साथ निरीक्षण करके कहा था कि चौराहे पर स्टेशन बनने से काशी की संस्कृति पर आघात पहुंचेगा। लिहाजा इसे शिफ्ट किया जाए।
टर्मिनल स्टेशन की ऊंचाई तीन गुना अधिक
प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि गिरजाघर पर टर्मिनल स्टेशन बन रहा है। जिस पर से गंडोला को टर्मिनेट किया जाएगा। इसकी ऊंचाई 27 मीटर है। जबकि अन्य बन रहे यात्री स्टेशन की ऊंचाई आठ से नौ मीटर तक है। ऐसे में तीन गुना अधिक ऊंचाई वाले स्टेशन को नीचे लाना संभव नहीं है। आसपास ऊंचे भवन होने से केबल का एलाइंमेंट नहीं हो सकता है।