झारखंड में विधानसभा चुनाव शुरू होते ही एक तरफ जहां दल-बदल का सिलसिला चला, वहीं प्रत्याशियों के ऐलान के बाद दोनों गठबंधन के घटक दलों में बगावत जारी है। बागी और निर्दलीय दलीय प्रत्याशियों का खेल बिगाड़ रहे हैं। दूसरे दलों में शामिल होकर भी कुछ नेता गठबंधन उम्मीदवारों के लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं। कई जगहों पर तो ऐसी स्थिति है कि टिकट बंटवारे से नाराज चल रहे नेताओं ने अपना एक अलग मोर्चा ही बना लिया है। उनकी रणनीति यह है कि पार्टी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे नेताओं को वे लोग समर्थन करेंगे।
भितरघात की बढ़ी आशंका
सियासी उठापटक के बीच दलों के अंदर विरोध भी तेज हो गया है। पहले से खुद को टिकट का दावेदार मान रहे नेताओं के हाथ से उम्मीदवारी खिसकने के कारण खुलकर सामने आ गए हैं। ऐसे में हर पार्टी के अंदर भितरघात की आशंका बढ़ गई है। इधर, बुधवार को पार्टी से इस्तीफा देने वाले आईपीएस अधिकारी राजीव रंजन सिंह ने बताया कि भाजपा ने टिकट बंटवारे में जिस तरह से परिवारवाद की, उससे कार्यकर्ता हताश हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता विनोद सिंह पार्टी छोड़कर हुसैनाबाद से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इसी तरह रांची से संदीप वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। सभी एक-दूसरे का समर्थन करेंगे।
राज्य की किस विधानसभा सीट पर क्या हैं दलों के हालात
राजद : गिरिनाथ गढ़वा रघुनाथ मनिका में विरोधी
इंडिया गठबंधन ने गढ़वा से मंत्री मिथलेश ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है, जबकि मनिका में कांग्रेस के रामचंद्र सिंह चुनावी मैदान में हैं। सीट बंटवारे के बाद दोनों नेताओं ने राजद छोड़ समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर लिया। समाजवादी पार्टी ने गिरिनाथ सिंह और रघुनाथ सिंह को उम्मीदवार बनाया है।
भाजपा : रांची-कांके से खड़े हो गए निर्दलीय
भाजपा एससी मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष कमलेश राम कांके से भाजपा के प्रमुख दावेदार थे। आखिरी वक्त में कमलेश पर दर्ज मुकदमों का जिक्र करते हुए पार्टी ने पूर्व विधायक जीतू चरण राम को टिकट दे दिया। कमलेश अब निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। वहीं रांची से सीपी सिंह को टिकट मिलने पर संदीप वर्मा निर्दलीय लड़ने वाले हैं।
झामुमो : टिकट कटा तो दिनेश विलियम ने दे डाली निर्दलीय लड़ने की चुनौती
झामुमो ने लिट्टीपाड़ा के विधायक दिनेश विलयम मरांडी का टिकट काट दिया। उनकी जगह हेमलाल मुर्मू को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। टिकट कटने के बाद दिनेश ने पार्टी आलाकमान पर गंभीर आरोप लगाए हैं। चार दशक से लिट्टीपाड़ा पर मरांडी परिवार का कब्जा रहा है। उनके पिता साइमन मरांडी, मां सुशीला हांसदा लगातार यहां से विधायक रहे। लेकिन अब टिकट कटने के बाद दिनेश ने ऐलान किया है कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। वहीं सारठ में पार्टी से जुड़ने के बाद चुन्ना सिंह को सिंबल मिलने पर झामुमो नेता मनोज यादव ने बगावत कर दी है। उन्होंने निर्दलीय लड़ने की घोषणा की है। गिरिडीह में भी सुदिव्य सोनू के करीबी रहे कारोबारी नवीन आनंद चौरसिया जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम का दामन थाम चुनावी समर में हैं।
हुसैनाबाद में कमलेश के विरोध में भाजपा-आजसू बागी
हुसैनाबाद में भाजपा ने कमलेश सिंह को उम्मीदवार बनाया है। एनसीपी छोड़कर कमलेश सिंह के भाजपा में शामिल कराने का स्थानीय नेताओं ने विरोध किया था। साल 2019 में भाजपा समर्थित प्रत्याशी रहे विनोद सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। वहीं पूर्व विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने भी आजसू छोड़कर इस सीट से बसपा के टिकट पर उम्मीदवारी का फैसला लिया है। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी कमलेश सिंह चक्रव्यूह में फंसे हैं। इसी तरह भाजपा के बरकट्टा प्रत्याशी अमित यादव के खिलाफ पार्टी की नेत्री कुमकुम देवी भी चुनावी समर में हैं।
कोल्हान में भी बागी बिगाड़ रहे समीकरण
कोल्हान प्रमंडल में भाजपा 2019 के विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पायी थी। चंपाई सोरेन के भाजपा में आने के बाद पार्टी का एक धड़ा नाराज है। सरायकेला में ही भाजपा के पूर्व विधायक प्रत्याशी गणेश महली भाजपा छोड़ चुके हैं। घाटशिला से चंपाई के बेटे बाबूलाल सोरेन को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। इसके विरोध में घाटशिला के पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू और उनकी बहन बारी मुर्मू ने भाजपा छोड़ दी और झामुमो का दामन थाम लिया है।