देवरिया के दो युवक, विरेन्द्र कुमार और धर्मेन्द्र सिंह, लिबिया से सुरक्षित अपने घर लौट आए। वे बंधक बनाए गए थे और भारतीय दूतावास की मदद से वे वापस आए। परिवार में खुशी का माहौल है, लेकिन लिबिया की…
रुद्रपुर (देवरिया), नन्द किशोर गांधी। लिबिया में बन्धक बनाए गए देवरिया के दो युवक अपने घर पहुंच गए। युवकों के घर पहुंचते ही घर में खुशियां लौट आई है। विरेन्द्र कुमार एकौना थाना क्षेत्र के तिघरा खैरवा गांव के रहने वाले हैं। छपरा खुर्द गांव के रहने वाले धर्मेन्द्र सिंह भी लिबियां में फंस गए थे। लिबिया की हालात याद कर इन युवकों का कलेजा कांप जा रहा है। दलाल ने अच्छी सेलरी का झांसा दे टूरिस्ट बीजा पर विदेश बुला लिया था। लिबिया के बंगाजी हवारी एलसीसी सीमेंट फैक्ट्री में युवक बन्धक बनाए गए थे।
तिघरा खैरवा गांव के रहने वाले जयश्री के पांच पुत्रों में दूसरे नबर के विरेन्द्र कुमार पहली बार कतर कमाने गए थे। जहां से लौटने के बाद सात अप्रैल 2023 को छपरा खुर्द गांव के रहने वाले धर्मेन्द्र सिंह के साथ ड्राइवरी की नौकरी करने दुबई चल गए जहां से दलाल ने लिबिया भेज दिया था। विरेन्द्र की मां कैलाशी देवी बेटे के विदेश में फंस जाने की जानकारी होते ही वह देवी देवताओं से गुहार लगाने लगी। उसने टिकट के लिए कर्ज लेकर 60 हजार रुपए भी भेजा था। किसी तरह घर लौटे विरेन्द्र ने बताया कि खाने पीने के लिए दुबई में रह रहे अपने भाई चन्द्रेश्वर से कई बार पैसा मंगाया था। अब कभी लिबिया नहीं जाएगा। वहां के हालात को याद करते ही कलेजा कांप जा रहा है।
छपरा खुर्द गांव के रहने वाले धर्मेन्द्र सिंह के पिता की मृत्यु हो चुकी है। तीन भाईयों में धर्मेन्द्र सबसे छोटा है और गांव में ही रह कर टेम्पो चलाता था। वह बड़ी गाड़ियों का भी ड्राइवर है, जिसके चलते घर की स्थिति मजबूत करने के लिए विदेश जाना चाहता था। धर्मेन्द्र ने बताया कि मोबाइल पर दुबई में ड्राइवर के लिए ऑन लाइन आवेदन मांगा गया था। जिसमें चार सौ डॉलर वेतन देने के लिए कहा गया था। जिस पर वह आवेदन कर दिया। दुबई की अलसहरी कम्पनी द्वारा उन्हें बीजा भेज दिया गया। जिस पर वह और विरेन्द्र कुमार ने अपने पास से हवाई जहाज का टिकट लेकर दुबई चले गए। उन्होंने बताया कि दो माह तक उन्हें दुबई में रखा गया, फिर उन्हें कम्पनी के द्वारा लिबिया ले जाया गया। जहां बंगाजी हवारी एलसीसी सीमेंट कम्पनी काम करने के लिए लगाया गया। जहां उनके साथ ही 19 लोगों को बन्धक बना लिया गया। कम्पनी में काम करने के बाद वह अपने आवास से बाहर नहीं निकल पाते थे। आवास पर सिक्योरिटी लगाया गया था और बाहर निकलते ही सिक्योरिटी वाले मारने पीटने लगते थे। धर्मेन्द्र ने कहा कि उन्हें टूरिस्ट बीजा दिया गया जिसकी अवधि तीन माह में समाप्त हो गई थी। लिबिया में मनमाने तरीके से कभी 80 डालर तो कभी सौ डालर उन्हें दिया जाता था। खाने पीने के लिए मजबूरन वह लोग अपने घर से पैसा मंगाने लगे।
परिवार की माली हालत सुधारने गए थे विदेश
परिवार की माली हालत सुधारने के लिए विरेन्द्र कुमार और धर्मेन्द्र सिंह विदेश गए। लेकिन वहां रुपए की कमाने की बजाय वह बंधक बना लिए गए। जहां से वतन वापसी की वह अन्य बन्धक बनाए गए 19 युवकों के साथ ही गुहार लगाने लगे। इधर घर के लोग उनके सकुशल वापसी के लिए देवी देवता मनाने लगे। परिजनों के साथ ही गांव के लोग भी उनकी स्वदेश वापसी के लिए परेशान थे और जुगाड़ में लगे हुए थे। सोमवार को तीन युवक लिबिया से भारत आए। जिसमें विरेन्द्र कुमार और धर्मेन्द्र सिंह के साथ ही आजमगढ़ जनपद का रहने वाला सत्येन्द्र यादव शामिल था। विरेन्द्र के घर आते ही उनके पिता जयश्री और मां कैलाशी के साथ ही पत्नी सुधा देवी लिपट कर रोने लगीं। छपरा खुर्द गांव के रहने वाले परिवार के इकलौता कमाऊं धर्मेन्द्र सिंह जैसे ही घर पहुंचे दरवाजे पर गांव के लोगों की भीड़ जुट गई।
भारतीय दूतावास ने की मदद तो संभव हुई वतन वापसी
विरेन्द्र कुमार और धर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि भारतीय दूतावास ने जब मदद की तो उनकी वतन वापसी हुई। जबकि अभी लिबिया में 16 भारतीय लोग बन्धक बने हुए हैं। जिसमें एकौना थाना क्षेत्र के भी दो युवक शामिल हैं। उन्होंने बताया कि बंधक बनाए जाने के बाद किसी प्रकार वहां से हम लोगों ने अपना विडियो बनाया और उसे परिजनों के साथ ही अन्य लोगों को भेजा। जिस पर दो सप्ताह पूर्व भारतीय दूतावास से एक मैडम हम लोगों के पास पहुंची। जहां उन्होंने कम्पनी के लोगों से अरबी में वार्ता किया। जिसके बाद हम लोगों की वापसी संभव हुई।