बिहार के ललित नारायण मिश्रा विश्वविद्यालय(LNMU), दरभंगा में लाखों की हेराफेरी से संबंधित एफआईआर राज्य की विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने दर्ज की है। इसमें तत्कालीन कुलपति सुरेंद्र प्रताप सिंह, तत्कालीन रजिस्ट्रार मुश्ताक अहमद, तत्कालीन वित्तीय अधिकारी एवं सलाहकार कैलाश राम, तत्कालीन वित्तीय अधिकारी फैजल रहमान, तत्कालीन डिप्टी रजिस्ट्रार कामेश्वर पासवान समेत 15 नामजद और अन्य अभियुक्त बनाए गए हैं। इन सभी अभियुक्तों से एसवीयू की टीम जल्द पूछताछ करेगी और इनके बयान दर्ज करेगी।
कुलपति समेत अन्य अभियुक्तों के कार्यकाल के दौरान हुए सभी लेनदेन की जांच होगी। जल्द ही एसवीयू की टीम विश्वविद्यालय पहुंच कर उस समय के सभी दस्तावेजों को जब्त कर आगे की जांच शुरू करेगी। जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि इन्होंने कितने की वित्तीय गड़बड़ी की है। मामले की जांच एसवीयू के डीएसपी चंद्रभूषण को सौंपी गई है। मामले में नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की 12, 13(2) समेत अन्य धाराएं एफआईआर की गई है।
एसवीयू ने दो साल बाद दर्ज की एफआईआर
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में लाखों की हेराफेरी से संबंधित एफआईआर एसवीयू में दर्ज होने में दो साल का समय लग गया। यह केस मधुबनी के लौकाही के धबाही निवासी रोहित कुमार की शिकायत पर दर्ज किया गया है। एसवीयू में 2021 में ही शिकायत की गई थी। इसके बाद यह मामला शिक्षा विभाग और निगरानी के बीच झूलता रहा। दो साल बाद 4 सितंबर 2024 को एसवीयू ने केस दर्ज किया। आरोप है कि तत्कालीन कुलपति सुरेंद्र प्रताप सिंह समेत अन्य ने मिलीभगत कर प्रश्नपत्र, कॉपी की छपाई आदि में धांधली की। मनमाने ढंग से मनपसंद कंपनी या एजेंसी को अधिक दाम पर काम आवंटित कर विश्वविद्यालय के फंड का दुरुपयोग किया।
इसमें प्रश्नपत्र सप्लाई करने वाली लखनऊ की कंपनी एक्सएलआईसीटी सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड और सॉफ्ट प्रो. इंडिया कंप्यूटर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को भी अभियुक्त बनाया गया है। साथ ही लखनऊ निवासी अतुल श्रीवास्तव, संदीप दुबे, अजय मिश्रा, एमए कुमार जैसे निजी लोग भी नामजद किए गए हैं। इन लोगों ने टेंडर दिलाने और विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों और निजी कंपनियों के साथ लेनदेन कराने में अहम भूमिका निभाई थी।
कई के नाम मगध विवि घोटाले में भी
इन नामजद अभियुक्तों की फेहरिस्त में निजी व्यक्ति या बिचौलियों की भूमिका निभाने वाले एम कुमार, अतुल श्रीवास्तव तथा लखनऊ की जिस निजी कंपनी का नाम अधिक दर पर प्रश्नपत्र छापने में सामने आया है, उनके नाम मगध विश्वविद्यालय घोटाले में भी सामने आए थे। गौरतलब है कि एसवीयू ने कुछ वर्ष पहले मगध विवि के तत्कालीन कुलपति राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति केस में नवंबर 2021 में उनके पैतृक आवास गोरखपुर समेत अन्य ठिकानों पर छापेमारी की थी। गोरखपुर आवास से दो करोड़ रुपये भी मिले थे। इस मामले में 2023 में एसवीयू ने एक हजार पन्नों की चार्जशीट भी दायर की थी।