मध्य प्रदेश में एक आदमी को अदालत से जमानत मिलने के बाद भी जेल से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा था। उसे जेल से बाहर निकालने के बदले रिश्वत की मांग की जा रही थी। जब उसकी पत्नी ने रिश्वत के पैसे भरे तो उस आदमी को जेल से बाहर निकलने दिया गया। मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने इस संबंध में कड़ा ऐक्शन लिया है।
मध्य प्रदेश के भिंड जिले की मेहगांव उप जेल में बंद एक बंदी की जमानत के बाद छोड़ने के लिए रिश्वत की मांग करने के मामले में उप जेल के सहायक जेल अधीक्षक वासुदेव मांझी और प्रहरी उमेश चौहान को निलंबित कर दिया गया है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, जिले के ऊमरी थाना क्षेत्र के ईश्वरी गांव की रहने वाली महिला नील चौहान ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है कि वह जेल में बंद अपने पति से मुलाकात करने के लिए पहुंची थी। न्यायालय द्वारा पति की जमानत दिए जाने के बाद भी ड्यूटी पर मौजूद प्रहरी उमेश चौहान द्वारा उसे रोक लिया गया। इस दौरान उसने सहायक जेल अधीक्षक वासुदेव मांझी से भी अपने पति की रिहाई की गुहार लगाई गई, इसके बाद भी सुनवाई नहीं हुई। मुलाकात के बाद पति को जेल से छोड़ने के एवज में 20 हजार की रिश्वत की मांग की जा रही थी।
बंदी राजेश सिंह की पत्नी द्वारा जब रिश्वत की रकम दी गई तब उसका पति जेल से बाहर आ सका। फरियादी ने शिकायत के माध्यम से यह बात भी कही है कि इन लोगों द्वारा मांगी गई रिश्वत के पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं। इस शिकायत के आधार पर कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच कराई और सहायक जेल अधीक्षक मांझी एवं प्रहरी चौहान के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की।