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Gehun Ki Kheti: गेहूं की कुछ ऐसी प्रजाति हैं, जो कम पानी में भी बंपर मुनाफा देती हैं. इन्हीं में से एचआई 1544 पुरीना, डीबीडब्लू 187 कर्णावती, पीबीडब्लू 343, एचडी 2967, एचडी 3086 जैसी गेहूं की वैरायटी से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

रबी सीजन शुरू होते ही किसानों के बीच गेहूं की बुवाई की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन इस बार देश के कई इलाकों में बारिश की कमी और नमी की समस्या के कारण किसान कम पानी में बेहतर उपज देने वाली किस्मों की तलाश में हैं. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक आज कई ऐसी वैरायटी मौजूद हैं, जो न केवल कम पानी में तैयार हो जाती हैं, बल्कि रोग प्रतिरोधी भी हैं और इनसे चमकदार गेहूं की फसल मिलती है.

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं की कुछ नई किस्में जैसे एचआई 1544 (पुरीना), (डीबीडब्लू) DBW-187 (कर्णावती), पीबीडब्लू PBW-343, एचडी HD 2967, और एचडी 3086 किसानों के लिए बेहद लाभदायक साबित हो रही हैं. इन किस्मों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये सूखा और रोग दोनों का सामना कर लेती हैं.

एचआई 1544 (पुरीना) किस्म की बात करें तो यह खास तौर पर कम सिंचाई वाले इलाकों के लिए उपयुक्त है. यह किस्म 110 से 115 दिनों में पक जाती है और इसकी औसत पैदावार 55–60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है. वहीं, डीबीडब्लू 187 (कर्णावती) किस्म झुलसा रोग और कीटों के हमले से बची रहती है, जिससे किसानों को रासायनिक दवाओं पर ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता.

पीबीडब्लू 343 लंबे समय से किसानों की पहली पसंद रही है. इसकी विशेषता यह है कि यह ज्यादा तापमान को भी सहन कर सकती है और दाने का रंग आकर्षक सुनहरा होता है, जो बाजार में बेहतर दाम दिलाता है. एचडी 2967 और एचडी 3086 वैरायटी भी नमी की कमी में अच्छा प्रदर्शन करती हैं और इनसे 60–65 क्विंटल तक की उपज मिल सकती है.

कृषि विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि किसान यदि बुवाई के समय बीज उपचार कर लें और सिंचाई की योजना सही तरीके से बनाएं तो इन वैरायटी से उपज और भी बेहतर हो सकती है. साथ ही खेत में जैविक खाद और नमी बनाए रखने के लिए मल्चिंग तकनीक अपनाने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है.

कम पानी में ज्यादा उत्पादन देने वाली ये गेहूं की वैरायटी न केवल किसानों की लागत घटाती हैं, बल्कि उन्हें बंपर मुनाफा भी दिला रही हैं. यही कारण है कि कृषि वैज्ञानिक इन्हें “स्मार्ट फार्मिंग की फसल” कह रहे हैं.



