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Crime News: मामला सन् 1993 का है. उस समय एक शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. इसी मामले में बुलंदशहर के किसान को जेल भेज दिया गया था. जबकि किसान उस समय उस शहर में मौजूद भी नहीं था.
संजय कुमार को मिला न्याय.मेरठ: सोचिए अगर आपको कई साल तक उस बात की सजा मिले जो आपने की ही न हो तो आप पर क्या बीतेगी. एक शख्स की मजबूरी कहिए या गरीबी खुद के लिए वकील नहीं रख पाने की वजह से 11 साल जेल में बिताए. ये कहानी है बुलंदशहर के रहने वाले 60 साल के किसान संजय कुमार की. अब उन्हें अदालत ने सभी आरोपों से बरी कर दिया है. मगर, सवाल उठता है कि इस शख्स के जो 11 साल बर्बाद हुए उसकी भरपाई कौन करेगा?
LADCS के मुख्य वकील राजीव कुमार ने बताया कि अदालत ने पाया कि अपराध के समय संजय गांव में मौजूद ही नहीं थे. इसलिए पर्याप्त सबूत उनके निर्दोष होने को साबित करते हैं. संजय ने रिहाई के बाद कहा, मैंने 11 साल जेल में बिताए, जबकि मैं निर्दोष था. 1993 से मेरी जिंदगी संघर्ष और डर में बीती. सालों तक छिपकर जीना पड़ा. 2014 में जब मैं अपनी बेटी की शादी पर गया तो वहां मेरा बेटा मुझे पहचान भी नहीं पाया. तब तक हमारी 50 बीघा जमीन छिन चुकी थी और कानूनी मदद के लिए पैसे भी नहीं थे.
उन्होंने आगे कहा, जेल में रहते हुए मैंने समझा कि असली डर कैदियों से नहीं, बल्कि घर पर अपने परिवार की चिंता और दुनिया के भूल जाने का डर होता है. आज मैं आजाद हूं, लेकिन जो साल मैंने खोए, वे वापस नहीं आएंगे. वहीं, संजय के 26 साल के बेटे कपिल कुमार ने कहा, पिता जेल में थे तो परिवार डर के साये में जी रहा था. अब उनकी रिहाई से राहत और खुशी मिली है.



