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Banke Bihari Temple: मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में VIP प्रोटोकॉल खत्म नहीं हुआ है बल्कि वीआईपी कल्चर खत्म किया गया है. लेकिन अब कई लोगों के मन में सवाल है कि आखिर दोनों में फर्क क्या है.
भगवान के दर पर वीआईपी कल्चर क्यों बनाया गया
योगीराज श्री कृष्ण की नगरी में दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं. भक्तों का तांता कान्हा की नगरी में लगा रहता है. वहीं दूसरी ओर भगवान बांके बिहारी की नगरी वृंदावन में भी लोग आते हैं. ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में वीआईपी कल्चर कई दशकों से चला आ रहा था. उस वीआईपी कल्चर को अब खत्म कर दिया गया है. लोकल 18 की टीम ने स्थानीय नागरिक और ठाकुर जी के दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं से वीआईपी कल्चर खत्म होने को लेकर बातचीत की, तो उन्होंने अपने-अपने विचार व्यक्त किये.
स्थानीय नागरिक पहलाद गोस्वामी से जब वीआईपी कल्चर खत्म होने को लेकर बात की तो उन्होंने बताया कि हाई पावर कमेटी के द्वारा एक बैठक में वीआईपी कल्चर खत्म करने को लेकर चर्चाएं तेज हुई थी. वह प्रस्ताव पास हुआ वीआईपी कल्चर खत्म कर दिया गया है. 3 फीट चौड़ी और 10 फीट लंबी एक आगे रेलिंग लगी हुई थी. वह भगवान की दहलीज के बिल्कुल पास है, उसमें अगर आपको अंदर खड़े होकर दर्शन करने हैं, तो आपको ₹100 प्रति व्यक्ति के हिसाब से चार्ज देना होता था. वह वीआईपी कल्चर की श्रेणी में आता था.
ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के पुजारी ने लोकल 18 की टीम ने बात की, तो उन्होंने बताया कि वीआईपी कल्चर खत्म हुआ है. वीआईपी प्रोटोकॉल खत्म नहीं हुआ है. भगवान के दर पर सभी लोग एक समान हैं. वीआईपी कल्चर लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ था. अब लोगों को उसे मुसीबत से छुटकारा मिल गया है. बाहर से आने वाली रेखा नाम की महिला श्रद्धालु ने बताया कि वीआईपी कल्चर हिंदू ही मंदिरों में क्यों लागू होते हैं. वहीं आशा नाम की युवती ने भी वीआईपी कल्चर खत्म होने को लेकर कहा कि सभी एक समान है. वीआईपी कल्चर किसी भी मंदिर में नहीं होना चाहिए.
न्यूज18 हिंदी डिजिटल में कार्यरत. वेब स्टोरी और AI आधारित कंटेंट में रूचि. राजनीति, क्राइम, मनोरंजन से जुड़ी खबरों को लिखने में रूचि.
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