झारखंड में लंबी खींचतान और कयासों के बाद इंडिया गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने 41 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। 2019 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 24 मौजूदा विधायकों, एक सांसद को मैदान में उतारने के साथ ही करीब 12 सीटों पर झामुमो को अपने उम्मीदवारों में बदलाव लाना पड़ा। दो सीट पर विधायकों के सांसद बनने, एक सीट विधायक के बागी होकर पार्टी छोड़ने और आठ सीट भाजपा, आजसू एवं अन्य दलों के बागियों को जगह देने के कारण झामुमो में नए चेहरे के रूप में शामिल किया गया है।
पारंपरिक सीटों पर अनुभव की चाल
एक ओर जहां भाजपा कई एक सीटों पर झामुमो के बागियों पर अपना दांव खेल रही है, वहीं झामुमो भी भाजपा एवं अन्य दलों के बागियों पर भरोसा करती नजर आ रही है। झामुमो ने अपनी परंपरागत सीटों पर पुराने और अनुभवी उम्मीदवारों को ही उतारा है और फिर से उनके सहारे जनता के बीच जाने का फैसला किया है।
झामुमो ने सारठ में राजद के पूर्व विधायक उदय शंकर सिंह, राजमहल से एमटी राजा, शिकारीपाड़ा से पूर्व विधायक व सांसद नलिन सोरेन के बेटे आलोक सोरेन, मनोहरपुर से पूर्व मंत्री व सांसद जोबा मांझी के बेटे जगत मांझी, भवनाथपुर से कांग्रेस के पूर्व विधायक अनंत प्रताप देव, सिमरिया आजसू के पूर्व नेता मनोज चंद्रा, चंदनकियारी से आजसू से आए उमाकांत रजक पर झामुमो ने भरोसा जताया है। हालांकि पहली सूची में लिट्टीपाड़ा के अपने विधायक दिनेश विलियम मरांडी को झामुमो ने टिकट नहीं दिया है। उनकी जगह हेमलाल मुर्मू को टिकट दिया गया है।
कुछ सीटों पर बनी हुई है जिच
इंडिया गठबंधन में सब कुछ पूरी तरह से अब तक ठीक नहीं हो पाया है। कुछ सीटों पर अभी भी जिच बनी हुई है। धनवार और जमुआ सीट पर माले और झामुमो प्रत्याशी फ्रेंडली फाइट करते नजर आ सकते हैं। धनवार सीट पर झामुमो और माले दोनों ओर से प्रत्याशी उतारे जा चुके हैं। जबकि जमुआ में झामुमो ने अपना उम्मीदवार मौजूदा भाजपा विधायक केदार हाजरा को उतारा है। माले ने इस सीट से प्रत्याशी देने का ऐलान कर दिया है।
हालांकि लंबी कवायद के बाद झामुमो, कांग्रेस, राजद के बीच गठबंधन के लिए समझौता बन गया है। अब जब कि नामांकन की प्रक्रिया चल रही है और पहले चरण के चुनाव के लिए चुनाव प्रचार के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं है, ऐसे में बहुत सारे प्रत्याशी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन, स्पीकर रबींद्र नाथ महतो, मंत्री बेबी देवी सहित गुरुवार को अपना पर्चा दाखिल करेंगे। जनसभाओं में सियासी हमले शुरू हो गए हैं।
पुरानी रिवाज से ही नैया पार करने की जुगत
झारखंड विधानसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया के बीच सियासी मुकाबला रोमांचक होता दिख रहा है। विधानसभा के इस चुनाव में जहां भाजपा संगठनात्मक मजबूती के अपने तमाम दावों के बाद भी झामुमो से आए बागियों और परिवारवाद के साये में चुनावी समर में उतर चुकी है, वहीं इंडिया गठबंधन जनता के सामने बहुत कुछ नया लेकर जाने में सक्षम नहीं दिख रहा है। चुनाव के इतने नजदीक आने के बावजूद इंडिया गठबंधन के द्वारा अभी तक कोई कॉमन मिनिमन प्रोग्राम या सरकार का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत नहीं किया जा सका है। दोनों ही पारंपरिक रणनीति के भरोसे चुनावी नैया पार करने की जुगत में दिख रहे हैं।