छत्तीसगढ़ के जिला खनिज कोष (DMF) घोटाले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने गुरुवार को महिला आईएएस अधिकारी रानू साहू और आदिवासी विकास विभाग की एक पूर्व सहायक आयुक्त को गिरफ्तार कर लिया। ईडी की रायपुर ईकाई ने यह गिरफ्तारी DMF में अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में की।
ईडी के अनुसार आईएएस अधिकारी रानू साहू को 17 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया, जबकि पूर्व सहायक आयुक्त माया वारियर को दो दिन पहले हिरासत में लिया गया था। ईडी ने बताया कि दोनों मुख्य आरोपियों को रायपुर की एक विशेष अदालत ने 22 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया है, जो PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम) से संबंधित मामलों की सुनवाई करती है।
छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज तीन FIR का अध्ययन करने के बाद डीएमएफ घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की गई थी, जिसमें आरोपियों पर राज्य सरकार के अधिकारियों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ मिलीभगत करके ठेकेदारों द्वारा सरकारी धन की हेराफेरी करने के आरोप लगाए गए थे।
ईडी ने कहा कि डीएमएफ खनिकों द्वारा वित्तपोषित एक ट्रस्ट है जिसे छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में खनन से संबंधित परियोजनाओं और गतिविधियों से प्रभावित लोगों के लाभ के लिए काम करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। जांच एजेंसी के अनुसार, साहू मई 2021 से जून 2022 तक कोरबा जिले की कलेक्टर थी और वारियर अगस्त 2021 से मार्च 2023 तक उसी जिले में आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त थी।
एजेंसी ने आरोप लगाया कि, ‘कोरबा में इन दोनों के कार्यकाल के दौरान विक्रेताओं/ठेकेदारों से अवैध कमीशन वसूलने की एक संगठित प्रणाली संचालित की जा रही थी।’ जांच में पाया गया कि ठेकेदारों ने अधिकारियों को बड़ी मात्रा में कमीशन/अवैध रिश्वत का भुगतान किया, जो कि अनुबंध मूल्य के 25 से 40 प्रतिशत तक के बराबर था।
ईडी ने कहा, ‘रिश्वत के भुगतान के लिए इस्तेमाल की गई नकदी विक्रेताओं/ठेकेदारों द्वारा आवासीय एंट्रीज का उपयोग करके उत्पन्न की गई थी।’ एजेंसी ने कहा कि कोरबा जिले को आवंटित डीएमएफ फंड इसकी स्थापना से लेकर वित्तीय वर्ष 2022-23 तक 1,000 करोड़ रुपए से अधिक था और प्रचलित दर के साथ, सैकड़ों करोड़ रुपए का कमीशन उत्पन्न हुआ।