भारत में 2014 से प्रतिबंधित चाइनीज लहसुन नेपाल के रास्ते तस्करी के जरिए उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर डंप किया जा रहा है। सितंबर महीने में ही सीमा शुल्क विभाग ने यूपी के अलग-अलग हिस्सों से 39 टन चाइनीज लहसुन जब्त किया है। लैब जांच में स्वास्थ्य के लिए खतरनाक चाइनीज लहसुन का मामला अब इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गया है जहां एक वकील बाजार से आधा किलो चाइनीज लहसुन लेकर ही कोर्ट पहुंच गया। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (फूड सिक्योरिटी एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) को फटकार लगाई है और 15 दिन में इस मसले पर जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट ने चाइनीज लहसुन की बाजार में धड़ल्ले से बिक्री पर गंभीर रुख अपनाते हुए पूछा है कि सेहत के लिए खतरनाक प्रतिबंधित लहसुन बाजारों में कैसे खुलेआम बेचा जा रहा है। न्यायालय ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता से भी पूछा है कि देश में प्रतिबंधित लहसुन के प्रवेश को रोकने के लिए क्या तंत्र है और क्या सरकार ने प्रतिबंधित लहसुन के देश में आवक का स्रोत पता करने की कोई कार्रवाई की है। न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने अधिवक्ता मोतीलाल यादव की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किया है।
मोतीलाल यादव ने चिनहट बाजार से खरीद कर आधा किलोग्राम चाइनीज लहसुन भी सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश कर दिया। यादव ने कोर्ट से कहा कि चीन का लहसुन 2014 से ही प्रतिबंधित है लेकिन तस्करी के जरिए मार्केट में आ रहा है। चाइनीज लहसुन पर प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है क्योंकि यह सेहत के लिए हानिकारक है। इसमें कीटनाशकों का उच्च स्तर पर प्रयोग होता है और उसमें फंगस होने का भी डर रहता है।
देसी लहसुन और चाइनीज लहसुन में पहचान के लिए अंतर समझ लीजिए
देसी लहसुन और चाइनीज लहसुन में कुछ अंतर हैं जो आम ग्राहक थोड़ी सावधानी बरतें तो खुद से पहचान सकते हैं। देसी लहसुन चाइनीज की तरह साफ और चमकदार नहीं होती। उसकी गांठ भी छोटी होती है। चाइनीज की कली भी बड़ी होती है और वो छीलने में आसान होता है। देसी को छीलने में मेहनत लगती है और कली छोटी होती है। देसी लहसुन में गंध तेज होती है जबकि दूसरे में गंध कमजोर होती है। दाम का भी अंतर है। देसी लहसुन 300-400 रुपए किलोग्राम बिक रहा है जबकि चाइनीज लहसुन 100-150 रुपए किलो मिल जाता है।