वाराणसी में किन्नर अखाड़े ने दिवंगतों के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध किया। आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की अगुवाई में यह विधि सम्पन्न हुई। 2016 से हर दो वर्ष में सामूहिक श्राद्ध का आयोजन होता है। हर बार…
वाराणसी,मुख्य संवाददाता। किन्नर अखाड़े ने शनिवार को काशी में अपनी बिरादरी के प्रतिनिधियों के साथ उन सभी दिवंगतों के निमित्त पिशाच मोचन पर त्रिपिंडी श्राद्ध किया जिनकी अकाल मृत्यु हो गई अथवा जिनका श्राद्ध करने वाला कोई नहीं है। यह पूरा विधान अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के नेतृतव में हुआ।
वर्ष 2016 से आचार्य ने प्रत्येक दूसरे वर्ष सामूहिक श्राद्ध की शुरुआत की है। तब से लेकर इस वर्ष तक हर बार ऐसा हुआ है कि जैसे ही बेदी पर पहला पिंड रखा जाता है बारिश शुरू हो जाती है। विधान पूर्ण होने के बाद सभी पिंड पिशाच मोचन तीर्थ में विसर्जित किए जाते हैं तो बारिश बंद हो जाती है। आचार्य इसे ईश्वर की कृपा मानते हैं। कर्मकांड पूरा करने में महामंडलेश्वर पवित्रा, महामंडलेश्वर डॉ. राजराजेश्वरी शिवप्रिया, महामंडलेश्वर अविनाशनंद गिरी,महामंडलेश्वर पूनम और महामंडलेश्वर मोहिनीनंद गिरी ने सहयोग किया। इस दौरान पूरे भारत वर्ष दक्षिण भारत, गुजरात,महाराष्ट्र,पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा,बिहार,छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश,पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड आदि राज्यों से जुटे किन्नर अखाड़े के पीठाधीश्वर, श्रीमहंत एवं महंत की मौजूदगी रही। इसमें गुलिस्ता एकता सेवा ट्रस्ट की अध्यक्ष सलमा चौधरी, नितिन तथा विजेता सिंह ने किन्नर अखाड़े का सहयोग किया।