एक बड़ाखूबसूरत और रिसोर्सेस से भरपूर मुल्क है ईरान…और खासियत ये भी है कि वो अपने रिसोर्सेस का बेहतर इस्तेमाल करना जानता है..यही वजह है कि कई तरह के बैन के बावजूद वो अपने मुल्क को वापस मजबूती की राह पर ले आए…शिया मुसलमानों का जज्बा..और उनमें तालीम की सलाहियत ईरान को सुन्नी अरब से जूझने की ताकत देती है…इसलिए इजरायल के साथ शायद ही ईरान कभी सीधी जंग में उतरे..क्यों कि वो जानता है कि फिलिस्तीन की आजादी का सपोर्ट उसे मुस्लिम वर्ल्ड में एक दबंग लीडर बनाता है..लेकिन अमेरिका हिमायती वहाबी सुन्नी मुमालिक कभी नहीं चाहेंगे कि मुसलमानों की कयादत शिया अक्सरियत करे. इसके लिए वो अमेरिका और इजरायल का साथ देंगे और देते भी हैं..सऊदी अरब अमेरिका के बहुत करीबी है.यूएईजॉर्डन और मोरक्को तो अब्राहम समझौते के तहत खुद के इजरायल के साथ हैं..कभी खिलाफते उस्मानिया का मरकज रहा टर्की या तुर्किए आज सिर्फ धमकियों से काम चलाता है…उसे अपनी नेटो मेंबरशिप बचाए रखने की फिक्र रहती है..इसलिए फारस की खाड़ी से मिडिल ईस्ट पर दबदबा भी बना रहे और जंग के नुकसान से भी बचे रहें ईरान इस पॉलिसी पर चलता है जो काफी हद तक…
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