उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस वे किनारे सोलर पार्क विकसित करने का काम सबसे पहले बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से होगा। इसके लिए सरकार निवेशकों को सस्ती दर पर जमीन लीज पर उपलब्ध कराने पर सहमत हो गई है। यहां 50- 50 मेगावाट के हिसाब से सौर ऊर्जा उत्पादन होगा। इससे संबंधित प्रस्ताव औद्योगिक विकास विभाग ने तैयार कर लिया है। इसे इसी महीने कैबिनेट की बैठक से पास कराया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक निवेशकों की मांग को देखते हुए सरकार ने यहां जमीन सस्ती देने का निर्णय लिया है। यहां लीज रेंट 15 हजार रुपये प्रति एकड़ है। अब इसे निवेशकों से न लेने का प्रस्ताव रखा गया है। बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे पर उपलब्ध भूमि पर 450 मेगावाट सौर ऊर्जा के सोलर प्लांट लग सकते हैं। इसमें लगभग 2550 करोड़ रुपये का निवेश होगा।
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के दोनों ओर सोलर इनर्जी संयंत्र लगाने के लिए एक दर्जन से ज्यादा कंपनियों ने रुचि दिखाई है। लेकिन सरकार इनसे सस्ते में सौर ऊर्जा खरीदेगी। इससे सरकार जमीन की रियायत में होने वाली नुकसान की भरपाई कर लेगी। यहां एक पैकेज कम से कम 50 मेगावाट का होगा। दोनों ओर इस तरह के 18 पैकेज होंगे। हर पैकेज 50 किमी की दूरी पर होगा। हाल में औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी ने लीज रेंट न लेने का निर्णय करते हुए कहा था कि बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे जल्द ही उत्तर प्रदेश का पहला सोलर एक्सप्रेसवे बनने जा रहा है, जो सौर ऊर्जा संरक्षण अभियान में मिल का पत्थर साबित होगा।
सोलर पार्क की सुरक्षा का होगा बंदोबस्त
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने निवेशकों को सोलर पार्क में उसके पैनल व उपकरणों की सुरक्षा का पूरा भरोसा दिलाया है। उनका कहना है कि बुंदेलखंड एक्सप्रेस के पेट्रोलिंग वाहन व सुरक्षा कर्मी इसकी निगरानी करेंगे। सोलर पैनलों की पानी से नियमित सफाई भी सुनिश्चित होगी। एक्सप्रेसवे पर ही वायरलेस ई चार्जिंग स्टेशन बनेंगे। असल में यूपी सरकार ने ऊर्जा नीति के अंतर्गत वर्ष 2026-2027 तक 22000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य रखा है। बुंदेलखंड के बाद अन्य एक्सप्रेसवे पर इसी तरह के सोलर पार्क विकसित होंगे।
इन कंपनियों ने निवेश के लिए दिखाई है रुचि
टाटा पॉवर, जीएमआर एनर्जी, महाप्रीत, एनटीपीसी, आत्रिया पॉवर, सात्विक ग्रीन, ओएमसी पॉवर, टोररंट पॉवर, अडानी सोलर एनर्जी, आरएवीसी सॉल्यूशन, अवाडा ग्रुप, एचपीएम सोलर,नोवासाग्रीन।