मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का गलत लाभ उठाने वालों का पता लगाने के लिए मुखबिर का भी सहारा लिया जा रहा है। शासन के निर्देश पर समाज कल्याण विभाग के अधिकारी योजना से लाभान्वित परिवार का सत्यापन करने में जुटे हैं। जांच के बाद अपात्रों के विरुद्ध कार्रवाई के साथ ही जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी भी दंडित किए जाएंगे।
सुलतानपुर जिले में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद यह जांच शुरू हुई है। जिले में जुलाई में हुए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह कार्यक्रम में पहले से विवाहित महिलाओं को भी योजना का लाभ दिया गया। अयोध्या मंडल के उप निदेशक समाज कल्याण की जांच में इसका खुलासा हुआ था। इसके बाद सुलतानपुर में चालू वित्तीय वर्ष में योजना के तहत हुई सभी शादियों का घर-घर जाकर सत्यापन कराने का निर्णय लिया गया। साथ ही प्रदेश के सभी जिलों में कम से कम 10 प्रतिशत शादियों का सत्यापन कराने का फैसला किया गया। समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण के निर्देश पर सुलतानपुर के एडीओ समाज कल्याण निलंबित भी किए जा चुके हैं।
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प्रति जोड़ा 51 हजार खर्च करती है सरकार
सामूहिक विवाह योजना के तहत प्रदेश सरकार हर जोड़े पर 51 हजार रुपये खर्च करती है। इसके तहत दाम्पत्य जीवन में खुशहाली एवं गृहस्थी की स्थापना के लिए कन्या के खाते में 35 हजार रुपये जमा किए जाते हैं। साथ ही विवाह संस्कार के लिए जरूरी सामग्री जैसे कपड़े, पायल, बिछिया व बर्तन आदि पर 10 हजार रुपये खर्च खर्च किए जाते हैं। योजना के तहत सभी वर्गों के दो लाख रुपये वार्षिक आय सीमा में आने वाले परिवार पात्र होते हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में योजना के तहत कुल 1,04,940 जोड़े लाभान्वित हुए हैं। योजना के तहत विधवा, परित्यक्ता व तलाकशुदा के विवाद कीभीव्यवस्थाहै।