संवाददाता। विजय कुमार अग्रहरी।
लखनऊ। भारत एक कृषि प्रधान देश है, यहां कृषि के निमित्त मौसमी व बारहमासी फसलों में लगभग 66 प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्यों में लगी रहती है जहाँ कृषि से उसे रोजगार मिलता है। भारतीय अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास में कृषि की सफलता देश को आर्थिक प्रगति के मार्ग की तरफ अग्रसर करती है। देश के सकल घरेलू उत्पाद में भी कृषि क्षेत्र का लगभग 20 प्रतिशत योगदान है। देश के विकास में चल रही योजनाओं की सफलता में भी कृषि का योगदान होता है। मनुष्य को जीवन जीने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। आज बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए भी जमीन से उत्पन्न होने वाली विभिन्न फसलों के अधिक उत्पादन की आवश्यकता है। विभिन्न उद्योग-धन्धे, व्यवसाय भी कृषि पर आधारित होते हैं। ऐसे में किसानों की फसलों को दैवीय आपदाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई करना जरूरी हो गया किसानों के हित में प्रदेश सरकार अनेकों कल्याणकारी व फसलोत्पादन में लाभकारी योजनायें संचालित कर उनकी आय दोगुनी करने में भरपूर सहयोग दे रही है। किसान वर्ष भर मेहनत कर खेत की जुताई. बुआई, निकाई, सिंचाई एवं खाद डालकर फसल तैयार करता है। फसलों में विशेषकर खरीफ व रबी की फसलें होती है। खेती किसानी में किसान के पूरे परिवार की मेहनत लगती है। समर्पित एवं कड़ी मेहनत करते हुए परिवार को अच्छे ढंग से पालन पोषण की आशा बनाये रखकर किसान फसल तैयार करता है। किन्तु यदि अधिक वर्षा, आँधी, तूफान, पाला, बर्फबारी, ओले, कीट, फसलरोगो, आग आदि दैवी आपदा आ गई और फसल नष्ट हुई तो किसान की पूरी मेहनत और लागत बरबाद हो जाती है। ऐसी स्थिति में किसान सडक पर आ जाता है, उसकी समस्त कमाई नष्ट हो जाती है। सिर पर हाथ रखकर रोने के सिवा किसान के पास कुछ नहीं होता। ऐसी स्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए किसानों की आपदा के दौरान नष्ट हुई फसल की क्षतिपूर्ति करने और किसानों को सम्बल प्रदान करने के लिए ही भारत सरकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का जनवरी 2016 से शुभारम्भ किया है। इस योजना के लागू होने से किसानों को बड़ी राहत मिली है। जो किसान ऋण/उधार पैसे लेकर खेती में लगाते थे, उन्हें इस योजना से बड़ा फायदा हो रहा है तथा उनकी आय में स्थायित्व भी आ रहा है। भारत सरकार की यह योजना उत्तर प्रदेश के समस्त जिलों में ग्राम पंचायत स्तर पर लागू किया गया है। इस योजना में ऋणी कृषक अनिवार्य रूप से तथा अन्य कृषक स्वैच्छिक आधार पर सम्मिलित किये गये हैं। बीमित राशि को फसल के उत्पादन लागत के बराबर जनपद स्तर पर अधिसूचित किया गया है। सभी फसलों हेतु वास्तविक प्रीमियम दर लागू किये गये हैं। प्रीमियम मद में कृषक की देयता को खरीक फसल में अधिकतम 2 प्रतिशत तथा रबी फसल में अधिकतम 1.5 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। नकदी व औद्यानिकी फसलों हेतु प्रीमियम मद में कृषक की देयता अधिकतम 5 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। कृषक द्वारा वहन किये जाने वाले प्रीमियम अंश से अधिक व वास्तविक प्रीमियम दर अन्तर की समस्त धनराशि को अनुदान के रूप में केन्द्र राज्य द्वारा बराबर वहन किया जाता है। प्रदेश के प्रत्येक जनपद में फसल की उत्पादन लागत के अनुरूप बीमित राशि निर्धारित की गई है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अन्तर्गत वर्ष 2017-18 से वर्ष 2024-25 में खरीफ 2024 तक कुल 287.71 लाख बीमित कृषकों द्वारा 255.36 लाख हेक्टे० क्षेत्र में फसलो का बीमा कराया गया। इस फसल बीमा के योजना अन्तर्गत माह जून 2024 तक कुल 54.50 लाख कृषको को रू0 4588.49 करोड की क्षतिपूर्ति का भुगतान किया गया है। फसलों की क्षतिपूर्ति पाकर किसानों के चेहरों पर खुशी चमक रही है।