संयुक्त अधिवक्ता महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ने बार कौंसिल को अधिवक्ताओं के हित मे पत्र लिख की मांग।
संवाददाता – विकास कुमार हलचल।
सोनभद्र। संयुक्त अधिवक्ता महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष राकेश शरण मिश्र ने बार कौंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के चेयरमैन और सचिव को पत्र लिख कर सी ओ पी रेन्युअल शुल्क कम करने एवं वेरीफिकेशन के नाम पर फिर से शैक्षिक प्रमाण पत्रों की मांग पर सवाल खड़ा करते हुए इसमें पुनर्विचार की मांग की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि अभी कुछ दिन पूर्व आप द्वारा प्रदेश के समस्त अधिवक्ता संघों को पत्र जारी करते हुवे सीओपी रिन्यूअल के नाम पर 250 रुपए शुल्क देने और साथ में वेरीफिकेशन फार्म के साथ समस्त शैक्षिक प्रमाण पत्रों को लगाने की बात कही गई है। साथ ही यह भी कहा गया है कि 1990 के पूर्व के अधिवक्ताओं को वेरीफिकेशन फार्म भरने की आवश्यकता नही है और ना ही उन्हें शैक्षिक प्रमाण पत्रों को देने की आवश्यकता है।
आप द्वारा यह भी कहा गया है उक्त आदेश माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश और बार कौंसिल ऑफ इंडिया के आदेश पर किया गया है। श्री मिश्र ने लिखा है कि प्रदेश के समस्त अधिवक्ता संघों को माननीय सुप्रीम कोर्ट और बार कौंसिल ऑफ इंडिया द्वारा COP रिन्यूअल व वेरीफिकेशन के संबंध में जारी आदेश की प्रति भेजने की कृपा करे क्योंकि प्रदेश के अधिवक्ताओं में री इश्यू फार्म एवं वेरीफिकेशन फार्म को लेकर अत्यधिक भ्रम की स्थिति बनी हुई है। श्री मिश्र ने पत्र ने लिखा है कि बार कौंसिल के इस आदेश से प्रदेश के अधिवक्ताओं में आक्रोश बयाप्त है और प्रदेश के अधिवक्ताओं का कहना है कि जब बार कौंसिल ऑफ उतर प्रदेश प्रथम बार पंजीयन के समय ही सारे शैक्षिक प्रमाण पत्रों को सत्यापित करके ही पंजीयन करती है तो बार बार शैक्षिक प्रमाण पत्रों को मांग कर अधिवक्ताओं को अनावश्यक परेशान क्यों कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने लिखा है कि COP नवीनीकरण के नाम पर 250 रुपए शुल्क की मांग भी औचित्यहीन है और इस से प्रदेश के अधिवक्ताओं पर अनावश्यक आर्थिक बोझ डाला जा रहा है जिसे या तो निःशुल्क किया जाए या अधिकतम 100 रुपए पूर्व की भांति लिया जाए। वेरीफिकेशन या रि इश्यू फार्म के साथ केवल बार कौंसिल द्वारा जारी आई डी कार्ड /सी ओ पी कार्ड की छाया प्रति ही लिया जाए जिससे देश/प्रदेश के सभी अधिवक्ताओं को उक्त वेरीफिकेशन /रि इश्यू फार्म भरने में आसानी हो। श्री मिश्र ने मांग की है कि देश/प्रदेश के समस्त अधिवक्ताओं की भावना और उनकी मांग पर गंभीरता पूर्वक विचार कर जारी आदेश में संशोधन करें। बताते चले कि श्री मिश्र इसके पूर्व भी सी ओ पी शुल्क को लेकर बार कौंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को कई बार पत्र लिख चुके हैं।