पटना. बिहार के खेल जगत में एक नया संदेश उभर रहा है और अब लक्ष्य है-हर गांव की प्रतिभा ‘वैभव सूर्यवंशी’ बने! दरअसल, बिहार के गांवों की मिट्टी में छिपी क्रिकेट प्रतिभाओं को अब राष्ट्रीय पटल पर लाने की मुहिम तेज हो गई है. बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) की ‘बिहार रुरल क्रिकेट लीग’ शुरू हो रही है जो 38 जिलों में 12,800 युवा खिलाड़ियों को मैदान में उतारेगी. BCA के पदाधिकारियों का मानना है कि खेल भी नौकरी और करियर का मजबूत रास्ता है, इसलिए इस लीग का उद्देश्य केवल प्रतिभा खोज नहीं, बल्कि खेल को रोजगार और सम्मान की दिशा में मजबूत आधार देना है.
बिहार की चमकती मिसाल वैभव सूर्यवंशी
बता दें कि समस्तीपुर जिले के छोटे से गांव ताजपुर से उभरे 14 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी आज भारतीय क्रिकेट के उभरते सितारे हैं. उनके प्रदर्शन को अंतरराष्ट्रीय मीडिया और दिग्गज खिलाड़ी सराह रहे हैं. हाल ही में एक टूर्नामेंट में उनकी शतकीय पारी और IPL में चुना जाना बिहार के युवा खिलाड़ियों के लिए उम्मीद का नया द्वार बन गया है.क्रिकेट जानकारों के मुताबिक वैभव की कहानी बताती है कि प्रतिभा गांवों में दबकर रह जाती है, बस मंच की कमी होती है. बिहार क्रिकेट एसोसिएशन अब इस कड़वी सच्चाई को बदलने की कोशिश में है.
BCA देगी ग्रामीण क्रिकेट को नई ऊंचाई
ट्रायल से फाइनल तक की रोमांचक यात्रा
लीग की प्रक्रिया सरल तो है पर चुनौतीपूर्ण भी है जो गांव स्तर से शुरू होकर पटना के फाइनल तक पहुंचेगी. 7 दिसंबर से ट्रायल्स सबसे पहले पूर्वी चंपारण से वेस्टर्न जोन मेंशुरू होंगे. हर जिले में 16-16 टीमें बनेंगी जो नॉकआउट आधार पर खेलेंगी. पहले चरण में 600 मैच, दूसरे में 35 और तीसरे में 10 मैच… यानी कुल 645 मुकाबले टी 20 फॉर्मेट में होंगे. जिला स्तर के बाद 38 सुपर लीग टीमें बनेंगी और फाइनल पटना में होगा.
ट्रायल से फाइनल तक का सफर
- पहला चरण: ट्रायल के माध्यम से खिलाड़ियों का चयन. 38 जिलों में ग्रामीण पंजीकरण कराए जा रहे हैं.
टीम‐गठन: कुल 640 टीम बनी हैं, हर टीम में लगभग 20–25 खिलाड़ी होंगे. - मैच प्रारूप: प्रत्येक मैच 20-20 ओवर का होगा। कुल लगभग 645 मुकाबले आयोजित होंगे -पहले चरण में करीब 600, फिर दूसरे में 35, तीसरे में 10.
- फाइनल: फाइनल मुकाबला राज्य की राजधानी पटना में होगा.
- आगे का रास्ता: चयनित खिलाड़ियों को जिला-राज्य स्तर की कोचिंग, सुविधा और ट्रैकिंग मिलेगी- ताकि वे वैभव जैसे आगे बढ़ सकें.
38 जिलों का क्रिकेट महासंग्राम
38 जिलों से 640 टीमों में बंटे 12,800 खिलाड़ी के आंकड़े लीग की भव्यता बयां करते हैं. 13-23 साल के आयु वर्ग के स्थानीय निवासियों को ही चुना गया है, जो ग्रामीण स्कूलों, कॉलेजों और ब्लॉक स्तर से आएंगे. पूर्व खिलाड़ी और मीडिया इंचार्ज रूपक कुमार ने इसे सबसे बड़ी टैलेंट खोज प्रतियोगिता बताया जो बिहार में क्रिकेट की जड़ें मजबूत करेगी. सभी मैचों की लाइव स्ट्रीमिंग पार्टनर प्लेटफॉर्म पर होगी, ताकि दूर-दराज के दर्शक भी जुड़ सकें.
स्पॉन्सरशिप में विशाल स्पोर्ट्स और नयाब स्पोर्ट्स जैसे पार्टनर जुड़े हैं, जो किट और इवेंट मैनेजमेंट संभालेंगे. रूपक कुमार के मुताबिक, इससे वैभव जैसे और सितारे सामने आएंगे और बिहार क्रिकेट का भविष्य उज्ज्वल होगा. लीग जनवरी के पहले हफ्ते से मैदान पर उतरेगी जहां हर गेंद पर एक नई कहानी रचेगी. यह लीग सिर्फ खेल नहीं, बल्कि बिहार के युवाओं के सपनों का पुल है. वैभव सूर्यवंशी की तरह, क्या कोई और गांव का लड़का पटना के फाइनल में चमकेगा? आने वाले महीनों में इसका जवाब मैदानों से मिलेगा.
क्यों जरूरी था यह बदलाव?
बता दें कि बिहार में क्रिकेट लंबे समय से संरचना और अवसरों की कमी से जूझता रहा है. कई खिलाड़ी गांवों में प्रतिभा के बावजूद मैदान, ट्रेनिंग और चयन प्रक्रिया तक पहुंच नहीं बना पाए. यही कारण है कि इस लीग को सिर्फ खेल आयोजन नहीं, बल्कि सिस्टम-बिल्डिंग मॉडल माना जा रहा है. खेल विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह प्रयोग सफल हुआ, तो बिहार से वैभव जैसे दर्जनों अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निकल सकते हैं. अंत में यह कहा जा सकता है कि यह लीग बिहार के युवाओं के लिए एक संदेश है- “अब सपना गांव से शुरू होगा, और मंज़िल देश और दुनिया होगी.” अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला तो आने वाले समय में शायद लोग कहेंगे-
“बिहार सिर्फ राजनीति का गढ़ नहीं… क्रिकेट की मिट्टी भी है.”



