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Chitrakoot News : पिछले साल भी सैकड़ों मरीजों की प्लास्टिक सर्जरी की गई थी. यहां आए अब तक हजारों मरीजों को नया जीवन मिल चुका है. इस कैंप में विशेषज्ञ सर्जन मरीजों का इलाज करते हैं.
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हाइलाइट्स
- चित्रकूट में नि:शुल्क प्लास्टिक सर्जरी कैंप लगेगा.
- 20 से 28 अप्रैल तक आरोग्यधाम में होगा कैंप.
- पंजीकरण के बाद गरीब मरीजों को मिलेगा नि:शुल्क इलाज.
Free Plastic Surgery Camp/चित्रकूट. कटे-फटे होठ और तालू की समस्या से जूझना आसान नहीं है. इसका इलाज काफी महंगा होता है. इसके लिए चित्रकूट के कई मरीज दूसरे जिलों में जाकर इलाज करवाते रहे हैं. लेकिन अब इसका इलाज चित्रकूट जिले में ही मिलने जा रहा है, वो भी एकदम नि:शुल्क. इस सुविधा का लाभ लेने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन पहले से करवाना होगा. इसके बाद ही ये इलाज आपको नि:शुल्क मिलेगा. चित्रकूट के आरोग्यधाम में कटे-फटे होंठ, तालू और बर्न केसों की प्लास्टिक सर्जरी के लिए 20 से 28 अप्रैल तक विशेष शिविर लगने जा रहा है. इसमें गरीब और वंचित मरीजों को पंजीकरण के बाद निःशुल्क इलाज मिलेगा. इस कैंप में देश-विदेश से आए विशेषज्ञ सर्जन मरीजों का इलाज करेंगे. इस शिविर में भाग लेने के लिए मरीजों का पंजीकरण कार्य शुरू हो चुका है. इच्छुक मरीज आरोग्यधाम परिसर स्थित दंत रोग निवारण विभाग में पंजीकरण करवा सकते हैं. यहां चित्रकूट, सतना और आस-पास के ग्रामीण इलाकों के लोग भी शामिल हो सकते हैं.
सर्जरी के बाद क्या बदलाव
दीनदयाल शोध संस्थान के उप महाप्रबंधक डॉ. अनिल जायसवाल ने बताया कि ये शिविर हर साल की तरह इस बार भी निःशुल्क आयोजित किया जा रहा है. पिछले वर्षों में इस शिविर के माध्यम से सैकड़ों बच्चों और लोगों को नया जीवन मिला है. कटे-फटे होंठ और तालू जैसी जन्मजात विकृतियां बच्चों के सामाजिक जीवन और आत्मविश्वास को बुरी तरह प्रभावित करती हैं. ऐसे में प्लास्टिक सर्जरी उनके लिए जीवन बदलने वाली साबित होती है.
परीक्षण, भर्ती और सर्जरी
डॉ. जायसवाल ने बताया कि पंजीकृत मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण 20 अप्रैल को आरोग्यधाम दंत रोग निवारण विभाग में किया जाएगा. परीक्षण के बाद उपयुक्त पाए गए मरीजों को शिविर में भर्ती करा सर्जरी की जाएगी. सेवा यूके के सहयोग से दीनदयाल शोध संस्थान कई वर्षों से इस तरह के शिविर आयोजित करता आ रहा है. पिछले साल आयोजित शिविर में सैकड़ों मरीजों की प्लास्टिक सर्जरी की गई थी. इस प्रयास के तहत अब तक हजारों मरीजों को नया जीवन मिल चुका है.



