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4000 की आबादी, 200 पहलवान और एक सपना- ओलंपिक गोल्ड! यह गांव है भारत का ‘Wrestling Powerhouse’

admin by admin
April 10, 2025
in खेल
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4000 की आबादी, 200 पहलवान और एक सपना- ओलंपिक गोल्ड! यह गांव है भारत का ‘Wrestling Powerhouse’


Last Updated:April 10, 2025, 18:14 IST

Khandwa News: खंडवा जिले का बोरगांव खुर्द गांव, सिर्फ चार हजार की आबादी वाला, आज पहलवानों की नर्सरी बन चुका है. यहां से 200 से अधिक पहलवान निकले हैं, जिनमें बेटियां भी शामिल हैं. माधुरी पटेल जैसी बेटियां अंतररा…और पढ़ें

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इनकी

इनकी कुश्ती क्लास में 100 से ज्यादा बचे कुश्ती करते है जिसमें कई लड़कियां भी पहल

हाइलाइट्स

  • खंडवा जिले का बोरगांव खुर्द पहलवानों का गांव है.
  • गांव की बेटियां भी कुश्ती में आगे हैं.
  • माधुरी पटेल ने चार नेशनल मेडल जीते हैं.

खंडवा. खंडवा जिले से महज 7 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत बोरगांव खुर्द आज पूरे देश में पहलवानों के गांव के नाम से पहचाना जाता है. करीब चार हजार की आबादी वाले इस छोटे से गांव की मिट्टी ने अब तक दो सौ से अधिक पहलवान देश को दिए हैं. इनमें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत चुके हैं. गांव के अखाड़े में लड़के ही नहीं. बेटियां भी बराबरी से दांव आजमा रही हैं. यहां की माधुरी पटेल इसका जीवंत उदाहरण हैं.

पंद्रह वर्षीय माधुरी अब तक चार नेशनल मेडल जीत चुकी हैं. पंद्रह से अधिक स्टेट लेवल मेडल उनके नाम हैं. वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बुल्गारिया में भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी हैं. माधुरी बताती हैं कि उन्होंने बारह साल की उम्र से कुश्ती शुरू की थी और उनका सपना ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतना है.

पिता से मिली प्रेरणा. बच्चों को बना रहे पहलवान
माधुरी के पिता जगदीश पटेल खुद भी पहलवान रह चुके हैं. आर्थिक मजबूरियों के चलते वे इस खेल को पेशेवर रूप से नहीं अपना पाए. लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को कुश्ती सिखाने का बीड़ा उठाया. मजदूरी करके अपने बेटे-बेटी को पढ़ाया और अखाड़े की ट्रेनिंग दिलाई. उनका बेटा प्रमेश पटेल भी पंजाब में विद्या भारती से नेशनल लेवल पर कुश्ती खेल चुका है. जगदीश पटेल आज गांव के बच्चों को निशुल्क कुश्ती सिखाते हैं. उन्होंने बताया कि अब तक गांव से पचास से अधिक बच्चे नेशनल लेवल पर पहुंच चुके हैं. जिनमें पच्चीस नेशनल मेडलिस्ट हैं और चार खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर चुके हैं.

स्थानीय सहयोग से बना कुश्ती का गढ़
खंडवा जिले के कुश्ती संघ के अध्यक्ष मंगल यादव और उपाध्यक्ष राजेंद्र पाजरे बच्चों को खेल सामग्री और प्रशिक्षण में हर संभव सहयोग करते हैं. गांव के किसानों ने भी अपने बच्चों को खेत की मिट्टी से सीधा अखाड़े तक पहुंचाया है. बोरगांव खुर्द आज सिर्फ एक गांव नहीं. बल्कि देश को यह संदेश दे रहा है कि मेहनत, समर्पण और सही मार्गदर्शन से कोई भी ऊंचाइयों को छू सकता है. चाहे वह गांव की बेटी हो या बेटा.

पहलवानों वाला गांव. बोरगांव खुर्द की मिसाल
खंडवा जिले से महज सात किलोमीटर दूर स्थित बोरगांव खुर्द को आज लोग पहलवानों वाला गांव कहकर जानते हैं. महज चार हजार की आबादी वाले इस गांव की खासियत यह है कि यहां हर घर से एक पहलवान निकलता है. खेतों की मिट्टी में खेलते-खेलते यहां के दो सौ से ज्यादा पहलवानों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने दमखम का लोहा मनवाया है.

मिट्टी से मैट तक. गांव में बना प्रशिक्षण केंद्र
पहले गांव के किसान कुश्ती को शौक के तौर पर अपनाते थे. लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण वे बड़े स्तर तक नहीं पहुंच सके. आज हालात बदल चुके हैं. गांव में ही मैट पर कुश्ती प्रशिक्षण की सुविधा है. जहां न सिर्फ गांव के बल्कि शहर के भी करीब सौ खिलाड़ी अभ्यास कर रहे हैं. इनमें से कई युवा सरकारी नौकरियों में हैं और कुछ देश के प्रतिष्ठित खेल संस्थानों में प्रशिक्षण ले रहे हैं.

बेटियां भी पहलवानी में आगे
इस गांव की एक खास बात यह भी है कि यहां बेटों के साथ बेटियों को भी बराबरी का दर्जा दिया गया है. माधुरी पटेल इसका बेहतरीन उदाहरण हैं. जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर ग्यारह और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो पदक अपने नाम किए हैं. नीरज पटेल ने सात राष्ट्रीय और दो अंतरराष्ट्रीय पदक जीते. जबकि छाया पटेल तीन राष्ट्रीय पदकों के साथ केंद्र सरकार की नौकरी में हैं. पवन पटेल, पायल पटेल, मुस्कान पटेल सहित कई और नाम भी राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं.

एक किसान की पहल ने बदली तस्वीर
गांव में खेलों की यह परंपरा कायम रहे. इसके लिए किसान जगदीश पटेल ने जिम्मेदारी उठाई. वे न सिर्फ खुद प्रशिक्षण दे रहे हैं. बल्कि अपनी बेटी माधुरी पटेल को भी तैयार किया. जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजबेकिस्तान और अजरबैजान जैसी टीमों के खिलाड़ियों को मात दी है.

Location :

Khandwa,Madhya Pradesh

First Published :

April 10, 2025, 18:14 IST

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भारत का ‘Wrestling Powerhouse’… 200 पहलवानो का गांव और एक सपना- ओलंपिक गोल्ड



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