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बहराइच के किसान राजन जैविक विधि से स्वादिष्ट राजमा उगाते हैं, जिसकी बाजार में खूब मांग है. राजमा की खेती के लिए हल्की दोमट से भारी चिकनी मिट्टी उपयुक्त होती है.
इस राजमा के आगे फेल है सारी राजमा.
हाइलाइट्स
- बहराइच के किसान राजन जैविक विधि से स्वादिष्ट राजमा उगाते हैं
- राजमा की खेती के लिए हल्की दोमट से भारी चिकनी मिट्टी उपयुक्त होती है
- राजमा की खेती में 2-3 बार सिंचाई की जरूरत होती है
बहराइच: जिले के रहने वाले किसान राजन एक प्रोग्रेसिव फार्मर हैं, जो पिछले कई सालों से विभिन्न फल, फूल, और सब्जियों की खेती करते आ रहे हैं. इसके साथ ही, ये मुख्य रूप से राजमा की खेती भी करते हैं. इनके द्वारा उगाया गया राजमा न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि पूरी तरह से जैविक विधि से उगाया जाता है, जिसकी बाजार में भी अच्छी डिमांड है.
राजमा की खेती के लिए जरूरी बातें
राजमा की खेती के लिए हल्की दोमट रेत से लेकर भारी चिकनी मिट्टी तक उपयुक्त मानी जाती है. इसके अलावा, जल निकास वाली दोमट जमीन में पैदावार बेहतर होती है. राजमा की खेती रबी ऋतु में की जाती है, और यह अधिकतर मैदानी क्षेत्रों में उगाया जाता है. राजमा की अच्छी पैदावार के लिए 10 से 27 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की आवश्यकता होती है. खेत की जमीन को 2-3 बार जोतकर भुरभुरा कर समतल करना चाहिए, जिससे उपज में लाभ मिलता है.
राजमा बीजों के उन्नत किस्म का चयन!
राजमा की खेती में कुछ प्रमुख और उन्नत किस्में हैं, जिनमें पीडीआर 14 (उदय), मालवीय 137, बीएल 63, अम्बर, आईआईपीआर 96-4, उत्कर्ष, आईआईपीआर 98-5, एचपीआर 35, बीएल 63 और अरुण शामिल हैं. इन किस्मों का उत्पादन करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
राजमा की खेती में सिंचाई
राजमा की खेती के दौरान 2 या 3 बार सिंचाई की जरूरत होती है. बुआई के 4 सप्ताह बाद पहली हल्की सिंचाई करनी चाहिए, और फिर एक माह के अंतराल पर सिंचाई की जाती है. खेत में पानी कभी भी ठहरना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे फसल को नुकसान हो सकता है. अगर आप जैविक विधि से राजमा की खेती कर रहे हैं, तो आपको जीवामृत, घनजीवामृत और गौ मूत्र का उपयोग करना पड़ता है. इन चीजों का इस्तेमाल करके आप राजमा की खेती आसानी से कर सकते हैं.
Bahraich,Uttar Pradesh
March 04, 2025, 22:11 IST



