संवाददाता। विजय कुमार अग्रहरी।
सोनभद्र। सोमवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी व उत्तर प्रदेश किसान सभा के प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंच कर मौके पर मौजूद एडीएम (नमामि गंगे) को राष्ट्रपति व राज्यपाल के नाम संबोधित ज्ञापन को सौंपा। जहां उक्त संगठन के नेताओं का कहना रहा कि भाजपा की डबल इंजन सरकार के शासनकाल में जहां जनता अनेकानेक समस्याओं से जूझ रही है वहीं देश के लिए अन्नदाता कहे जाने वाले किसानों की समस्याओं को भी इस सरकार द्वारा नजर-अंदाज किया जा रहा है, यह कितनी विडम्बना की बात है कि इस खेती के सीजन में जब किसान सबसे महत्वपूर्ण फसल रबी की फसल की बोआई कर रहे हैं और उन्हें डीएपी सहित अन्य खादों की अति आवश्यकता है, डबल इंजन वाली सरकार उन्हें खाद तक उपलब्ध नहीं करा पा रही है। दिन दिन भर किसान खेतों का काम छोड़कर सहकारी समितियों के बाहर लाइन में खड़े रहते हैं , मौके पर बैक डोर से खाद गायब हो जाता है जिसके चलते झड़प भी होती है, पुलिस बल का प्रयोग कर किसानों पर लाठियां भी बरसाई जाती है और किसानों को निजी खाद व्यापारी के यहां जानें पर मजबुर किया जाता है जो भारी दाम वसूल कर किसानों को कंगाल बना रहे हैं । इस समय धान की बिक्री में भी किसानों को लुटवाया जा रहा है। इस वर्ष पहले सूखा और फिर बाढ़ से धान की पैदावार औसत से कम हुई है और उसका लागत मूल्य काफी अधिक आया है। सरकारी तौर पर खरीदें जाने वाले धान को आढ़तिए ( बिचौलिए) किसानों से कम मूल्य पर खरीद कर सरकारी खरीद केंद्र को देकर कर पूरा लाभ कमा रहे हैं। किसानों की आमदनी को दोगुना करने की दावा करने वाली सरकार की शोषणवादी नीतियों के चलते किसानों को भारी घाटा हो रहा है। इसके साथ ही समूचे प्रदेश में इस समय बड़े पैमाने पर वायरल, डेंगू, और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां फैली हुई है, इसका मुख्य कारण स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ाती जगह जगह फैलीं व ढ़ेर लगाई गंदगियों और कीटनाशक दवाओं का छिड़काव न होना भी है । प्रदेश में स्वास्थ्य महकमा भी फेल है, तत्काल घटित झांसी मेडिकल कॉलेज की घटना से पूरा देश मर्माहत है । ऐसे कई सवाल हैं जिससे लोगों में अफरातफरी का माहौल बना हुआ है। दिए गए ज्ञापन में कहा गया कि डीएपी खाद की कालाबाजारी पर रोक लगाई जाए और इसे सहकारी समितियों पर किसानों के लिए पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया जाए। क्रय-विक्रय सहकारी समितियों पर हो रहे भ्रष्टाचार व दलाली प्रथा को रोका जाए और किसानों को हर तरह की सहुलियत प्रदान करते हुए उन्हें धान का उचित मूल्य व पर्याप्त मात्रा खाद/बीज उपलब्ध कराया जाए। मच्छर जनित रोगों से मुक्ति के लिए सभी शहरों और गांवों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कराया जाए और युद्ध स्तर पर स्वच्छता अभियान चलाया जाए। मनरेगा योजना में मजदूरों की मजदूरी 600 रुपए प्रतिदिन किया जाए और उन्हें दो सौ दिन के काम की गारंटी सुनिश्चित किया जाए। नेताओं ने कहा कि सर्वाधिक बिजली उत्पादन और पर्याप्त प्राकृतिक पानी स्रोत वाले जनपद सोनभद्र के अधिकांश इलाकों में खेती प्रकृति पर निर्भर है। जबकि सिंचाई के लिए भिन्न भिन्न क्षेत्रों में चेकडैम , बंधें और पहले से स्थापित कई सोन, व कनहर जैसी बड़ी सिंचाई परियोजनाएं भी हैं उनका विस्तारी करण कराया जाए और कटौती मुक्त पर्याप्त बिजली आपूर्ति किया जाए जिससे जनपद का कृषि उत्पादन में भी पहचान हो और यहां के आदिवासी व किसान खेती से आत्मनिर्भर बन सकें। जनपद के गिट्टी /बालू खनन क्षेत्रों में चल रहे अवैध तरीके से नदी की धारा को रोककर तथा जलीय जीव जंतुओं को भारी क्षति पहुंचाते हुए चल रहे जेसीबी पोकलेन जैसी मशीनों को तत्काल रोक लगा कर खनन ठेकेदारों पर कार्रवाई किया जाए और खनन में मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया जाए। सोनभद्र में वन विभाग द्वारा आदिवासियों, जनजातियों पर लगातार किए जा रहे शोषण उत्पीड़न पर रोक लगाई जाए और यहां वनाधिकार कानून का मुस्तैदी से पालन कराया जाए । इस मौके पर प्रमुख रूप से भाकपा के जिला सचिव कामरेड आर के शर्मा, किसान सभा के जिला संयोजक कामरेड रामरक्षा, शिवमंगल प्रसाद, बसावन गुप्ता, देव कुमार विश्वकर्मा, विरेन्द्र सिंह गोंड, जोगेंद्र सिंह, राजेन्द्र प्रसाद व नागेन्द्र प्रसाद आदि मौजूद रहे।