विशेष संवाददाता द्वारा।
सोनभद्र। प्रभाश्री शोध साहित्य संस्थान देवगढ़ के तत्वावधान में बीते शनिवार को रघुनाथ मंदिर परिसर में सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन कविराज रमाशंकर पांडेय विकल की संरक्षता व वरिष्ठ साहित्यकार रामनाथ शिवेंद्र की अध्यक्षता में आयोजित हुई। मुख्य अतिथि के रूप में जे पी एन सिंह मुख्य अभियंता विद्युत विभाग विंध्याचल मंडल और विशिष्ट अतिथि एके सिंह अभियंता विद्युत सोनभद्र रहे। मां सरस्वती और भगवान श्रीराम की वंदना करते हुए दिवाकर द्विवेदी मेघ ने माई शारदे राह देखावा से आयोजन का आगाज किया।लखनराम जंगली ने लोकभाषा में तुलसी कर बिरवा दुआरे बेइमान सुनाया और सराहे गये। कौशल्या कुमारी चौहान कवयित्री ने,,देश ही मेरा सब कुछ है मैं देश की दीवानी हूं सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। संचालन कर रहे दिलीप सिंह दीपक ने, सबकुछ बेंच दो लेकिन हिंदुस्तान मत बेचो सुनाकर श्रोताओं को झूमने पर विबस किया। चंदौली से पधारे गीतकार नवल स्वतंत्र श्रीवास्तव ने,,,रुनुकै झुनुकै के बदे अंगना बनि जैबे, से भोजपुरी को समृद्ध किया। प्रद्युम्न तिवारी निदेशक शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट करारी ने,,सांवरि सूरति मोहनि मूरति ई छवि देखत पाप पराला सुनाकर भगवान राम को नमन किया और सराहे गए।प्रमोद शर्मा अनुज ने जिंदगी भी चढ़ती है उतरती है टूटती है। सुनाकर गतिज ऊर्जा दिये। रमाशंकर पांडेय विकल ने,,केकर बनलि रहल बा केकरौ बनलि रही का सुनाकर पीर को परिभाषित किया और नम आंखें कराकर करुण रस का संचार किया। इतिहासकार शोधकर्ता लेखक प्रखर कवि संयोजक जितेन्द्र सिंह संजय ने बात यह मेरी मान ले अगर विश्व तीर्थ सा पवित्र बन जायेगा सुनाया और विजयदशमी को समर्पित विचार दिये और सराहे गये। अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार रामनाथ शिवेंद्र ने लय प्रलय को जीवन से जोड़ते हुए विजय पर्व को समर्पित विचार देकर एक रचना,,धूप में जब भी जले हैं पांव सीना तान गया है सुनाकर मजलूम की पीर को उकेरा और विराम दिये।इस अवसर पर बृजेश सिंह पद्म मिनी श्वेता सिंह धर्मेंद्र कुमार सिंह ज्ञानेंद्र कुमार सिंह कीर्ति वर्धन सिंह आर्या भब्यानी सिंह मिश्रीलाल छोटेलाल देवेश प्रताप सिंह राजेश सिंह राजर्षि बाबू रामप्रसाद बाबू महेंद्र बहादुर सिंह आदि रहे। आयोजन देर शाम तक चलता रहा।