देवरिया, निज संवाददाता। जल निगम शहरी क्षेत्र में काम करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों व
देवरिया, निज संवाददाता। जल निगम शहरी क्षेत्र में काम करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों व पेंशन भोगियों को दशहरे का त्यौहार भी फीका रहेगा। आलम यह है कि पांच माह से विभागीय कर्मचारियों को वेतन पाने को दिन गिनते गिनते पूरा महीना ही बीत जा रहा है। वेतन नहीं मिलने कर्मचारी परेशान हैं।
बीते कुछ साल से शासन द्वारा जल निगम शहरी व ग्रामीण के अलग-अलग कर दिया है। जिसके चलते जल निगम शहरी क्षेत्र में नई पेयजल परियोजनाओं की स्वीकृति कम मिल रही है। विभाग की माने तो नई पेयजल परियोजनाओं की स्वीकृति के आधार पर निर्धारित मिलने वाले सेंटेंज के द्वारा ही कर्मचारियों का वेतन व पेंशन भुगतान किया जाता है। वहीं 2022 से शासन द्वारा पूर्व में मिल रहे 12.5 प्रतिशत सेंटेज को घटाकर कम कर दिया गया है। जिसमें परियोजनाओं के लागत के आधार पर सेंटेंज का निर्धारण किया गया जिसमें 0 से 25 करोड़ तक की परियोजनाओं पर 10 प्रतिशत, 25 से 50 करोड़ तक 8 प्रतिशत, 50 से 100 करोड़ तक 7 प्रतिशत व 100 करोड़ से ऊपर की परियोजनाओं पर 5 प्रतिशत सेंटेज का निर्धारण किया गया है। इसके चलते नगरीय जल निगम में परियोजनाओं की स्वीकृति भी कम हो रही है और परसेंटेज भी कम हो गया है। जिसके चलते वेतन का संकट खड़ा हो गया है। मई से अब तक कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। विभाग में कुल लगभग 38 अधिकारियों, कर्मचारियों के अलावा 187 पेंशनर हैं। जिनके पेंशन व वेतन के मद में लगभग 60 लाख रुपए भुगतान होता है।
जल निगम शहरी में अधिकारियों, कर्मचारियों व पेंशनरों का वेतन व पेंशन सेंटेज के आधार पर ही मिलता है। नगर क्षेत्र में परियोजनाओं की स्वीकृति कम होने व सेंटेंज में भी कमी होने के चलते वेतन नहीं मिल पा रहा है। मई से वेतन रुका है।
सुदेश कुमार
एक्सईएन, जल निगम नगरीय