इंदौर में सेना के दो अधिकारियों के साथ लूटपाट और उनकी दो में से एक महिला मित्र के साथ गैंगरेप की घटना सुर्खियों में छाई है। पुलिस ने ऐक्शन लेते हुए सभी छह आरोपियों को अरेस्ट कर लिया है। इसी तरह की घटना 9 साल पहले कजलीगढ़ किले में सामने आई थी।
मध्य प्रदेश के इंदौर में मशहूर पर्यटक स्थल जाम गेट में सेना के दो अधिकारियों के साथ लूटपाट और दो में से एक महिला मित्र के साथ गैंगरेप की घटना इन दिनों सुर्खियों में छाई हुई है। घटना पर ऐक्शन लेते हुए पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है। आज से नौ साल पहले कजलीगढ़ किले से इसी तरह की घटना सामने आई थी जिसने लोगों को झकझोर दिया था। किले में दो साल की अवधि के दौरान 45 से अधिक महिलाओं के साथ कथित तौर पर गैंगरेप किया गया था।
जाम गेट की घटना ने भले ही पर्यटक स्थल पर सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है, लेकिन इंदौर ग्रामीण की पुलिस सुपरीटेंडेंट हितिका वासल का कहना है कि दोनों घटनाओं में कोई संबंध नहीं है। कजलीगढ़ गैंगरेप मामले में हाईकोर्ट की इंदौर पीठ में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई थी। हालांकि, कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि सरकार ने इतने गंभीर मामले में पुलिस रिपोर्ट को क्यों खारिज कर दिया। कजलीगढ़ मामले में मुख्य आरोपी ने जुर्म कबूल कर लिया था। इसके बावजूद मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। जाम गेट की घटना की तरह ही, कजलीगढ़ मामले के पीड़ितों ने पुलिस केस दर्ज करने से इनकार कर दिया था, जिससे इन मामलों की हैंडलिंग को लेकर चिंता बढ़ गई हैं।
क्या है कजलीगढ़ गैंगरेप केस
2015 में, कजलीगढ़ किला जाने वाले बीटेक छात्रों के ग्रुप पर एक गैंग के सदस्यों ने हमला किया था, जिसे लेकर सिमरोल में पुलिस शिकायत दर्ज की गई थी। जांच के बावजूद, आरोपी भाग निकले थे। हालांकि, इसके बाद पुलिस को पता चला कि कुछ युवक बहुत ज्यादा पैसे खर्च कर रहे थे और महंगे मोबाइल फोन खरीद रहे थे। हिरासत में लिए जाने और पूछताछ करने पर, पुलिस ने कई अपराधों से जुड़े चौंकाने वाले लिंक का खुलासा किया। पूछताछ के बाद, मुख्य संदिग्ध संजय कटारा और करण डावर सहित गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि एक नाबालिग को हिरासत में लिया गया।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, गिरोह के सरगना ने बाद में खुलासा किया कि दो साल में कम से कम 45 गैंगरेप की घटनाओं में गिरोह की संलिप्तता रही है। उन्होंने स्वीकार किया कि गिरोह ने अपनी नशे की लत को पूरा करने के लिए सुनसान कजलीगढ़ किले में आने वाले कपल को लूटा। पुलिस ने कुछ पीड़ितों से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने संभवतः डर या सदमे की वजह से शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट की इंदौर पीठ में एक याचिका दायर की गई, जिसमें मामलों को फॉलो न करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। लेकिन अभी तक कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया गया है।
सामने नहीं आ रही थीं पीड़िताएं
कजलीगढ़ किला गैंगरेप के मामले में इंदौर पश्चिम के पूर्व पुलिस सुपरिटेंडेंट और आईपीएस अधिकारी डी. कल्याण चक्रवर्ती ने जांच प्रक्रिया को लेकर बताया कि गिरफ्तारियां तो हुईं और रेप की धाराओं के तहत एफआईआर भी दर्ज की गई, लेकिन पीड़िताओं के सामने आने में आनाकानी के कारण मामला फंस गया। उन्होंने कहा कि वे रिकॉर्ड देखे बिना डिटेल जानकारी नहीं दे सकते, लेकिन उन्हें याद है कि यह मामला उनके कार्यकाल के दौरान ही उनके संज्ञान में आया था। पुलिस ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया था और एक-दो प्रमुख संदिग्धों को भी हिरासत में लिया था। कुछ आरोपियों ने अपराध कबूल कर लिया था, लेकिन जांच में एक बड़ी बाधा पीड़िताओं की ओर से खुद शिकायत न करना था।
कैसे दाखिल हुई चार्जशीट
चक्रवर्ती ने कहा, ‘आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया और रेप की धाराओं के तहत एफआईआर की गई। हालांकि, सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि कोई भी पीड़िता शिकायत दर्ज कराने को तैयार नहीं थी। हमें जांच के दौरान सूचना और सुरागों पर निर्भर रहना पड़ा।’ उन्होंने कहा कि डायरेक्ट शिकायतों की कमी के बावजूद, दो-तीन पीड़िताएं बाद में आगे आईं, जिससे पुलिस एफआईआर दर्ज करने में सक्षम हो पाई। इसके बाद, गहन जांच की गई, जिससे आरोपियों की पहचान और अभियोजन की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास जो जानकारी थी, उसके आधार पर जांच की गई और दो-तीन पीड़िताएं आगे आईं। आरोपियों को दोषी पाया गया, गिरफ्तार किया गया और मामले में चार्जशीट दायर की गया।’
जाम गेट में क्या हुआ
कजलीगढ़ किले की तरह ही जाम गेट में लूटपाट की गई और कथित तौर पर एक महिला के साथ गैंगरेप हुआ। यह इंदौर के पास स्थित मशहूर पर्यटक स्थल है। मंगलवार रात को सेना के दो यंग अधिकारी अपनी महिला मित्र के साथ यहां पहुंचे थे। इनपर लूटपाट के इरादे से हथियारबंद अपराधियों ने हमला कर दिया। सेना के अधिकारियों को बुरी तरह पीटा गया था, लेकिन उन्होंने पुलिस को बयान दे दिया है। गैंगरेप का आरोप लगाने वाली महिला अभी भी सदमे की वजह से बयान नहीं दे रही है। पुलिस ने बताया कि इस मामले में मुख्य संदिग्ध को गिरफ्तार कर लिया गया है और अधिक जानकारी जुटाने के लिए जांच जारी है।
पुलिस सुपरिटेंडेंट हितिका वासल ने कहा, ‘हमने महिला का बयान दर्ज करने की कई बार कोशिश की, लेकिन वह अभी तक तैयार नहीं है। जब तक उसका बयान दर्ज नहीं हो जाता, तब तक आगे बढ़ना मुश्किल है।’ जाम गेट की घटना के सिलसिले में सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। सभी का गंभीर आपराधिक इतिहास है। 27 साल का अनिल बरोर, घटना का मास्टरमाइंड है, उसपर जबरन वसूली, डकैती और पारिवारिक विवाद के आरोप हैं, 23 साल के पवन बंसुनिया पर प्रतिबंधित शराब की तस्करी और डकैती का आरोप है, 25 साल का रितेश भाभर हत्या समेत गंभीर आरोपों वाला मास्टरमाइंड है। इसके अलावा रोहित गिरवाल, संदीप वारिया और सचिन मकवाना का भी आपराधिक रिकॉर्ड है।