जमीन सर्वे के दौरान लोगों को कई तरह की परेशानियों का रोज सामना करना पड़ रहा है। किसी रैयत की जमाबंदी ऑनलाइन नहीं चढ़ पाई है। किसी की ऑनलाइन चढ़ गई है तो उसमें कई गलतियां हैं। ऐसे में उनकी रसीद नहीं कट पा रही है। इसे लेकर लोग परेशान नजर आ रहे हैं।
बिहार में विशेष भू सर्वेक्षण का काम जारी है। 45 हजार गांवों में सर्वे की बात कही जा रही है। सीवान में भी सर्वे से संबंधित कार्य 20 अगस्त से ही शुरू है। लेकिन, कागजात की वजह से इस कार्य की रफ्तार धीमी है। रैयत अपने जमीन के कागजात निकालने को लेकर रात-दिन एक किये हुए हैं। जिले के रघुनाथपुर अंचल क्षेत्र में कुल 107 राजस्व गांव है। जबकि थाना क्षेत्र के अंतर्गत 84 ही गांव पड़ता है। इन 107 राजस्व गांवों में 3 में फिलहाल सर्वे का कार्य नहीं होगा।
बताया जा रहा है कि कुछ वजहों से 1919 में आदमपुर, कौसड़ और बसंतपुर में सर्वे का कार्य नहीं हुआ था। उस समय जब सर्वे का काम हुआ ही नहीं था तो उन गांवों का खतियान भी नहीं है। ऐसे में सर्वे का काम यहां पर बाद में ही होगा। रघुनाथपुर क्षेत्र के शिविर प्रभारी व विशेष सर्वे सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी नवीन कुमार ने कहा कि उन्हें सिर्फ यहीं जानकारी है कि इन तीन गांवों का सर्वे फिलहाल नहीं होना है।
जमीन सर्वे को लेकर झेलनी पड़ रही परेशानी
जमीन सर्वे के दौरान लोगों को कई तरह की परेशानियों का रोज सामना करना पड़ रहा है। किसी रैयत की जमाबंदी ऑनलाइन नहीं चढ़ पाई है। किसी की ऑनलाइन चढ़ गई है तो उसमें कई गलतियां हैं। ऐसे में उनकी रसीद नहीं कट पा रही है। इसे लेकर लोग परेशान नजर आ रहे हैं। अंचल के अभिलेखगार से लेकर डीसीएलआर के ऑफिस तक लोग दौड़ लगा रहे हैं।
कई रैयतों ने बताया कि उनके पुस्तैनी जमीन का अब तक ऑनलाइन नहीं किया गया है। जबकि यह कार्य 2018 तक हो जाना चाहिए। समाजसेवी अरविन्द तिवारी ने कहा कि रजिस्टर-2 से कई पन्ने गायब हैं। यहां तक कि मूल खतियान में भी छेड़छाड़ की गई है। इस बात का खुद मैं भी भुगतभोगी हूं।
अंचल कार्यालय का चक्कर काटने को मजबूरबिहार में जमीन सर्वे यानी विशेष भूमि सर्वेक्षण का काम जारी है। मगर कई जगहों पर डिजिटल जमाबंदी ऑनलाइन नहीं होने या फिर जमाबंदी में गड़बड़ी होने के चलते रैयतों को पसीना बहाना पड़ रहा है।
सीवान जिले में रैयत तो अंचल कार्यालय से लेकर हल्का कर्मचारी तक के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। सरकारी प्रयास से सभी अंचलों में जमाबंदी को डिजिटाइज्ड किया गया है।
इसके बावजूद सैकड़ों रैयतों की ऑनलाइन जमाबंदी नहीं है। यही नहीं, काफी संख्या में रैयतों के जमीन का खाता, खैसरा, रकबा और नाम आदि में गडबड़ी है। इस कारण रैयतों की रसीद नहीं कट पा रही है, इससे वे परेशान हैं। जमीन सर्वे को लेकर रैयतों के मन में कई तरह के सवाल हैं। खासकर कागजातों को जमा करने की तारीख को लेकर लोग भ्रमित हैं। विभिन्न प्रकार के कागजात और वंशावली को लेकर भी अंचल कार्यालय सहित पंचायत कार्यालय के लोग चक्कर काट रहे हैं।