संवाददाता। विजय कुमार अग्रहरी।
घोरावल सोनभद्र। घोरावल ब्लॉक के शिवद्वार मंदिर मे श्री उमामहेश्वर मंदिर प्रांगण में चल रहे श्री शिव शक्ति महायज्ञ एवं श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के तीसरे दिन रविवार की सुबह बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने महायज्ञ में हवन किया और यज्ञ मंडप की परिक्रमा की। वहीं श्रीमद भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को सुनकर श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गए। व्यास पीठ की पूजा के बाद वृंदावन धाम से पधारे स्वामी श्री वेदप्रकाशाचार्य जी की कथा श्रद्धालुओं ने सुनी। उन्होंने कथा का महत्व बताते हुए कहा कि सच्चे मन से श्रीमद्भागवत कथा सुनने मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। इस कथा को एक बार भी सुनने या सुनाने मात्र से भगवान की प्राप्ति हो सकती है। सृष्टि के क्रम के विषय में बताते हुए कहा कि परमात्मा जो निराकार हैं उन्होंने लीलार्थ 24 तत्वों के अंड का निर्माण किया। उस अंड से ही वे परमात्मा साकार रूप में बाहर निकले। उन्होंने जल की रचना की तथा हजारों दिव्य वर्षों तक उसी जल में शयन किया। अतः उनका नाम नारायण हुआ। भगवान की प्राप्ति का सरल उपाय है नवधा भक्ति, जिसके द्वारा भक्त प्रहलाद और माता शबरी श्री नारायण के परम प्रिय बने। यह नौ उपाय अत्यंत सरल और कारगर है। शास्त्रों में ऐसा बताया जाता है कि मनुष्य जन्म का एकमात्र लक्ष्य प्रभु की प्राप्ति करना है। नवधा भक्ति के बहुत सरल भावों को अपनाकर आप भी भगवत्तप्राप्ति कर सकते है। उन्होंने बताया कि नवधा भक्ति के 9 भाव हैं, – श्रवण, कीर्तन, स्मरण, चरण सेवन, पूजन, वंदन, प्रभु के प्रति दास्य भाव, अपने आराध्य ईश्वर के प्रति सखा भाव और आत्म निवेदन या प्रभु के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव। नवधा भक्ति के इन 9 भावों में से किसी एक को भी आत्मसात कर पालन करने से प्रभु की परम कृपा प्राप्त होती है। इस अवसर पर राजबहादुर सिंह, कामता प्रसाद शुक्ला, उदय प्रताप सिंह, रामसूचित गिरी, रमाकांत दुबे, पुजारी सुरेश गिरी, शिवराज गिरी, सतीश गिरी, अजय गिरी, चंदन विश्वकर्मा समेत अनेको श्रद्धालु उपस्थित रहे।