ब्यूरो रिपोर्ट सोनभद्र।
सोनभद्र। मोदी जी का 400 पार का नारा ही गलत था। इंडिया गठबंधन से भी अधिक एनडीए गठबंधन में इकतालीस पार्टियां शामिल हैं इसके बावजूद मोदी जी ने अपने बीजेपी के लिए 370 का टारगेट तथा अन्य चालीस पार्टियों को मिलाकर मात्र तीस सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था। यहां पर मोदी जी एवं बीजेपी को पूरा भरोसा था कि इस बार 2024 के चुनाव में जनता भाजपा को सभी सीटों पर जिताएगी तथा एनडीए के अन्य घटक खत्म हो जाएंगे, मगर जनता का फैसला इसके बिल्कुल विपरीत आया। सभी सीटों से मोदी जी के चेहरे पर वोट मांगने के कारण जनता अपने सांसदों से न तो जुड़ पाई और न तो जान ही पाई। बड़े-बड़े नेताओं के मुख से निम्न स्तर की बातें: रामद्रोही, मंगलसूत्र, मुसलमानों को आरक्षण, मंदिर, धर्म, गारंटी, वादे और भाषण से जनता ऊब चुकी है। पब्लिक जान रही है कि मोदी जी के साथ इकतालीस पार्टियां मिलकर लड़ रही हैं इसके बावजूद प्रधानमंत्री महोदय का बार-बार बोलना कि सारी पार्टियां कांग्रेस के साथ मिलकर एक अकेले मोदी के पीछे पड़ी हैं, शायद जनता को पचा नहीं। भ्रष्टाचार को खत्म करने के मिशन के साथ जनता ने खुलेआम देखा कि विपक्षी पार्टियों के भ्रष्टाचार में लिप्त सारे नेताओं को बीजेपी ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया तथा इलेक्टोरल बॉन्ड के गेम को भी जनता ने ऐन मौके पर समझ लिया। जिन उम्मीदवारों से जनता बुरी तरह खफा हो उसे मोदी जी के नाम पर जनता कहां तक वोट देती। कुल मिलाकर बेरोजगारी, इलेक्टोरल बॉन्ड, भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं का सत्ता पक्ष में शामिल होना, दूसरी पार्टी के नेताओं को ईडी, सीबीआई आदि किसी न किसी दबाव के कारण अपनी पार्टी छोड़कर सत्ता पक्ष में शामिल होना निश्चित रूप से साख को बनाया नहीं बिगाड़ा ही। जिन्होंने भी निष्पक्ष होकर सोचा होगा उसी के मुताबिक निर्वाचन के परिणाम आए हैं। जो मजबूरी कांग्रेस की पिछली सरकारों में सहयोगी दलों के कारण रही वही मजबूरी मोदी जी के तीसरे कार्यकाल में रहेगी। मेरे विचार से चुनाव प्रचार की गरिमा जो गिरी, उससे संस्कारों के लिए जाने जानी वाली संस्था आरएसएस भी सहमत नहीं थी। पहले चुनाव में जनता आनंदित होती थी, सभी पार्टियों के लोगों से मिलती थी, बात करती थी मगर अब तो दूसरी पार्टियों से बात करने एवं मिलने-जुलने से लोग डरते हैं। हम लोग पहले सभी पार्टियों के प्रचार सामग्री, बिल्ला, हैंडबिल प्रचार वाहन से खुद लेते थे अब तो पर्व जैसा निर्वाचन का कोई माहौल ही नहीं रहा।