संवाददाता। विजय कुमार अग्रहरी।
क्या करें क्या न करें हिटवेब की स्थिति में एडवाईजरी की गयी जारी।
हिटवेब से प्रभावित होने पर स्वास्थ्य विभाग के मो0 नम्बर- 9415243543, 7317785768 पर करें सम्पर्क
सोनभद्र। अपर जिलाधिकारी(वि0/रा0) सहदेव कुमार मिश्र की अध्यक्षता में आज कलेक्ट्रेट सभागार में हिटवेब से बचाव एवं राहत कार्य सुनिश्चित किये जाने हेतु बैठक की गयी, बैठक के दौरान अपर जिलाधिकारी ने उपस्थित अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि जनपद में हिटवेब प्रकोप से होने वाली क्षतियों को कम करने वाली शासन के निर्देश के क्रम में तहसील स्तर पर उप जिलाधिकारी तथा ब्लाक स्तर पर सम्बन्धित खण्ड विकास अधिकारी को नोडल अधिकारी नामित किया गया है, जिनके माध्यम से हिटवेब से होने वाली नुकसान व बचाव व राहत कार्य को समय-समय पर मानीटरिंग किये जाने और विभिन्न स्थलों पर कलर कोडिंग के माध्यम से हिटवेब अलर्ट सम्बन्धित डिस्प्ले बोर्ड लगाये जाने के निर्देश दिये गये हैं, हिटवेब के समय क्या करें, क्या न करें के जागरूकता हेतु व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाये, स्वास्थ्य केन्द्र एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ओ0आर0एस0 पैकेट की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिये गये हैं, अधिक गर्मी से बचाव हेतु विद्यालयों के समय में परिवर्तन किये जाने व सार्वजनिक स्थलों पर पेयजल की समुचित व्यवस्था की जाये, अस्पतालों एवं हेल्थ्य सेन्टरों में विद्युत आपूर्ति की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाये, श्रमिकों, कामगारों के कार्य घण्टों में परिवर्तित किये जाने तथा शाॅपिंग माल के कुलिंग सेन्टर को संचालित किये जाने के निर्देश दिये गये हैं, लू प्रकोप ( हिटवेब) से बचाव हेतु विभिन्न विभागों द्वारा निम्न गतिविधियां सुनिश्चित की जानी है, इस दौरान अपर जिलाधिकारी ने आपदा राहत बचाव के सम्बन्ध में प्रशिक्षण प्राप्त स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रमाण-पत्र का वितरण किये, इस दौरान उन्होंने कहा कि हिटवेब से बचाव हेतु जन जागरूकता की कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। बैठक में उप जिलाधिकारी घोरावल राजेश सिंह, उप जिलाधिकारी ओबरा अजय सिंह, प्रभारी जिला सूचना अधिकारी सुधांशु शेखर शर्मा, अपर जिला सूचना अधिकारी विनय कुमार सिंह सहित अन्य सम्बन्धितगण उपस्थित रहें।
हिटवेब के दौरान क्या करें, क्या न करें की एडवाईजरी जारी, विभिन्न विभागों को दी गयी जिम्मेदारी, स्वास्थ्य विभाग, सोनभद्र-जन जागरूकता के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना एवं ग्रामीण स्तर के कार्यकर्ताओं को अलर्ट जारी करना हीट-वेव के सम्बन्ध में, सन स्ट्रोक से बचाव के लिए जन सूचना जारी करने के साथ-साथ आपातकालीन स्थिति के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों को तैनात करना।108/102 व अन्य आपातकालीन सेवाएं सक्रिय करना, अस्पतालों एवं हेल्प सेंटर्स में पावर सप्लाई की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाये, सभी अस्पतालों/पी.एच.सी/सी.एच.सी. में ओ.आर.एस. और तरल पदार्थ के पर्याप्त स्टॉक की व्यवस्था कराना, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं जिला अस्पताल पर आवश्यक दवाईयां उपलब्ध हों तथा स्वास्थ्य केंद्रों को हीट-वेव से किसी भी प्रकार की घटना होने पर क्रियाशील रहने हेतु निर्देशित किया जाये,बस स्टैंडों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षित परिवहन के लिए स्वास्थ्य टीमों की तैयारी एवं पीने के पानी तथा यात्रियों के लिए लू से बचाव की उचित व्यवस्था कराना, बस स्टैण्डों पर यात्रियों के लिए छायां एवं पेयजल की व्यवस्था करना। इसी प्रकार से पशुपालन विभाग, सोनभद्र-मवेशियों की सुरक्षा के लिए हीट वेव एक्शन प्लान की तैयारी, कार्यान्वयन और समीक्षा करना, गर्मी की स्थितियों के दौरान पशु प्रबंधन पर पशुधन के किसानों के बीच जागरूकता लाने के लिए ग्राम स्तर पर क्षेत्रीय कर्मचारियों और गौपालों को सक्रिय करें, सार्वजनिक स्थानों में लू से बचाव के लिए पशु प्रबंधन पर उपायों को पोस्टर के माध्यम से प्रकाशित कराना, मवेशियों के लिए पीने के पानी की उचित व्यवस्था करना,पशुओं को सुरक्षित रखने हेतु टीकाकरण का कार्य नियमित रूप से संचालित किया जाये साथ ही पशु केन्द्रों पर आवश्यक दवाओं का भण्डारण सुनिश्चित हो तथा पशु चिकित्सकों के माध्यम से ग्रामीणों को पशुओं की सुरक्षा एवं लू से बचाव हेतु जागरूक किया जाये, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, सोनभद्र-गर्मी से संबंधित बीमारियों पर जन जागरूकता, सोशल मीडिया (फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप) व दैनिक समाचार पत्रों के माध्यम से हीट वेव/लू से बचाव का व्यापक प्रचार प्रसार कराना, हीट वेव/लू से बचाव हेतु क्या करें, क्या ना करें की एडवाईजरी का व्यापक प्रचार प्रसार करना। मनरेगा विभाग, सोनभद्र-महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के अंतर्गत काम करने वाले मजदूरों के लिए समय (12ः00 से 03ः00 बजे) हीट वेव/लू से बचाव हेतु आवश्यक व्यवस्था करना, कार्य करने के स्थान पर पेयजल और छाया की व्यवस्था कराना, सार्वजनिक स्थलों पर पेयजल की समुचित व्यवस्था किए जाये, श्रमिकों/कामगारों के कार्य घंटों में परिवर्तन किए जाये। वन विभाग, सोनभद्र-पब्लिक प्लेस/सार्वजनिक स्थानों में उचित वनीकरण कराना,जंगल क्षेत्र में आग से बचाव के लिय उचित व्यवस्था करना एवं निरंतर निगरानी बनाये रखना,वन क्षेत्र में जानवरों एवं पक्षियों’ के लिए तालाब एवं पानी के श्रोतों का उचित प्रबंधन करना,सार्वजनिक स्थलों पर पेयजल की समुचित व्यवस्था किए जाये। अग्निशमन विभाग, सोनभद्र-लू के दृष्टिगत अग्निशमन विभाग द्वारा मुख्यालय एवं तहसीलों में स्थापित उप केन्द्रों को आवश्यक संसाधनों सहित 24×7 क्रियाशील रखा जाये तथा अग्नि से बचाव हेतु नागरिकों को जागरूक करें, लू के दृष्टिगत अग्निशमन विभाग की जनपद एवं तहसील व समस्त उपकेन्द्रों पर स्थापित अद्यतन संसाधनों की सूची पूर्ण विवरण सहित तथा संबंधित जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी का विवरण आपदा कार्यालय को उपलब्ध कराना, आम-जनमानस द्वारा दी जाने वाली सूचना हेतु समस्त उपकेन्द्रों पर स्थापित टोल फ्री नम्बर का प्रचार प्रसार एवं अद्यतन कराना। शिक्षा विभाग, सोनभद्र-तीव्र गर्मी से बचाव हेतु विद्यालयों के समय में परिवर्तन किए जाये, छात्र/छात्राओं हेतु पेयजल तथा विद्यालयों में पावर सप्लाई व पखें आदि की व्यवस्था की व्यवस्था कराना।नगर निकाय, सोनभद्र-मंदिरों/लोक भवन/मॉल में कुलिंग सेंटर संचालित किए जाये, नगरीय क्षेत्रो के सब्जी मण्डी/चैराहो व सार्वजनिक स्थलो पर शीतल जल की समुचित व्यवस्था तथा नगर के दूर-दराज क्षेत्रो में पानी आदि की व्यवस्था सुनिष्चित कराना, आवश्यकतानुसार विभिन्न नगरीय क्षेत्रो/स्थलों पर (जहां छाया हो/लोगों का ठहराव होता हो) आदि का चिन्हाकरण करते हुये विभिन्न स्थलों पर प्याऊ (गिलास सहित) आदि का व्यवस्था कराना। पंचायती राज विभाग सोनभद्र-ग्रामीण क्षेत्रो के सार्वजनिक स्थलो, चैराहो व आवष्कयतानुसार संबंधित ग्रामो में पानी की टंकी/टैंकरो आदि की व्यवस्था कराना सुनिष्चित करायें, आवश्यकतानुसार विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रो/स्थलों पर (जहां छाया हो/लोगों का ठहराव होता हो) आदि का चिन्हाकरण करते हुये विभिन्न स्थलों पर प्याउ (गिलाषसहित) आदि का व्यवस्था कराना। विद्युत विभाग,सोनभद्र-शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में टूटे हुए बिजली के खंभों आदि को सुदृढ़ करना व क्षेत्रों में समय-समय पर रोस्टर के आधार पर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना,जनमानस द्वारा दी गई सूचना के आधार पर यदि किसी कारण से बिजली आपूर्ति ठप हो जाए उन क्षेत्रों में यथासिघ्र बिजली आपूर्ति व्यवस्था कराना सुनिश्चित करें। क्या करें सभी लोगों के लिए रेडियों, टीवी और समाचार पत्रों कंे माध्यम से स्थानीय मौसम एवं तापमान की जानकारी रखें, पर्याप्त आर नियमित अन्तराल पर पानी पीते रहें। सफर में अपने साथ पीने का पानी हमेशा रखें, खुद को हाइडेªटेड रखने के लिए ओ0आर0एस घोल, नारियल पानी, लस्सी, चावल का पानी, नींबू का पानी, छांछ, आम का पन्ना इत्यादि घरेलू पेय पदार्थ का इस्तामाल करें, हल्के रंग का ढीले-ढाले और सूती कपडे़ पहनें, धूप में निकलते समय अपना सिर ढक कर रखें, कपडे़, टोपी या छाता का उपयोग करें,कोविड अनुकूल व्यवहार का अपनाएं हांथों को साबुन और पानी से बार-बार धोए माॅस्क का प्रयोग एवं सामाजिक दूरी का पालन करें। नियोक्ता और श्रमिकों के लिये-कार्य स्थल पर ठंडा पेयजल उपलब्ध रखें,श्रमिकों को सीधी धूप मे काम करने से सावधान करें,अत्यधिक परिश्रम वाले कार्यो को दिन के ठंडे समय मे निर्धारित करें,खुले वातावरण या बाहरी गतिविधियों के लिए अवकाश की आवृति व समय में वृद्धि करें, गर्भवती एवं ऐसे कर्मचारियों को जिन्हें चिकित्सा देख-भाल की जरूरत हो उनका अतिरिक्त ध्यान रखें। वृद्ध एवं संवेदनशील व्यक्तियों के लिये- अत्यधिक गर्माी/लू के दौरान दिन में कम से कम दो बार उनकी जाॅच करें, विषेश रूप से जब वे अकेले हों, सूनिश्चित करें कि उनके पास फोन हो, यदि वे गर्मी से बेचैनी या तनाव महसूस कर रहे हों तो उन्हे ठंडक देने का प्रयास करें, उन्हें ठंडे पानी से नहलाएं, उनके गर्दन, पेट एवं सिर पर बार-बार गीला तौलिया रखें, ठंडा रखने की कार्यवाही के उपरान्त चिकित्सक या एम्बुलेंस की मदद लें,उन्हे अपने पास हमेशा पानी की बोतल रखने के लिए प्रेरित करें। शिशुओं के लिए-उन्हें प्र्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ एवं पानी पिलाएं, अत्यधिक गर्मी/लू के दौरान षिषुओं मंे होने वाली बीमारियों के बारे में जाने,यदि बच्चों के पेशाब का रंग गहरा नजर आये तो समझ लें कि वह डिहाइडेªटेड (पानी की कमी) के शिकार हैं, बच्चों को बिना निगरानी के पार्क की गयाी कार में अकेला न छोड़ें, वाहन जल्दी गर्म होकर खतरनाक तापमान पैदा कर सकते है जो बच्चों के लिये घातक हो सकती है। पशुओं के लिए-जहां तक संभव हो, तेज गर्मी के दौरान जानवरों को घर के अन्दर रखें, यदि उन्हंे घर के भीतर रखा जाना संभव न हो तो उन्हें किसी छायादार स्थान में रखें, जहां वे आराम कर सकें, ध्यान रखें कि जहां उन्हें रखा गया हो वहां दिन भर छाया रहें, जानवरों को किसी बंद गार्डेन शेड या गैराज में न रखें, क्योंकि गर्म दिन में इन्हे जल्दी गर्मी लग सकती है, ध्यान रखें कि आपके जानवरों को पीने के लिये साफ और ताजा पानी उपलब्ध हो, पानी को धूप में न रखें इससे पानी गरम हो जायेगा। दिन के समय उनके पानी में बर्फ का टुकडा ड़ालें जिससे पानी ठंडा रहे, पीने के पानी के दो बर्तन रखें ताकि एक में पानी खत्म होने पर दूसरे बर्तन में भरे पानी को वो पी सकंे,अपने पालतू जानवरों का खाना धूप में न रखें,किसी भी परिस्थिति में जानवरों को वाहन में अकेला न छोडें।अन्य सावधानियाॅ- जितना हो सके घर के अंदर रहें, अपने घर को ठंडा रखें। पर्दे, शटर या सनशेड का प्रयोग करें और रात मे खिड़कियां खुली रखें,घर के निचली तलों पर रहने का प्रयास करें,पंखे का प्रयोग करें, ठंडे पानी में नियमित स्नान करें। कमजोरी, चक्क्र आने या बीमार महसूस होने पर तुरन्त डाॅक्टर को दिखाए,ानवरों को छाया में रखें और उन्हें पीने के लिए भरपूर पानी दें, क्या न करें-तेज धूप मे विशेषरूप से दोपहर 12.00 बजे से 3.00 बजे के बीच बाहर जाने से बचें, भीषण गर्मी मे दोपहर के समय अधिक श्रम वाली गतिविधियों को न करें,तेज धूप में नगंे पंाव घर से बाहर न जाये,दोपहर में जब दिन का तापमान अधिक हो उस दौरान खाना पकाने से बचें। रसोई घर को हवादार बनाये रखने के लिये खिड़की व दरवाजे खुली रखें,शराब, चाय, कॅाफी और कार्बोनेटेड शीतल पेय पदार्थ का सेवन करने से बचें क्योकि ये शरीर को निर्जलित करते है,उच्च प्रोटीन वाले भोजन से बचंे और बासी भोजन न करे,पार्क किये गये वाहनों में बच्चों या पालतू जानवरों को न छोडें-क्योंकि वे लू से प्रभावित हो सकते है। उन्होंने बताया कि गर्मी में शरीर के द्रव्य बाॅडी फल्यूड सूखने लगते हैं, षरीर में पानी, नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। निम्न स्थितियों में लू की सम्भावना अधिक रहती है-शराब की लत, हृदय रोग, पुरानी बीमारी, मोटापा, पार्किसंस रोग, अधिक उम्र, अनियंत्रित मधुमेह, ऐसी कुछ औषधिंया जैसे डाययूरेटिक, एंटीस्टिामिनिक, मानसिक रोग की कुछ औषधिंया,लू (हीट वेव) के लक्षण-गर्म, लाल, शुश्क त्वचा का होना, पसीना न आना, तेज पल्स होना,उल्टे श्वास गति में तेजी,व्यवहार में परिर्वतन, भ्रम की स्थिति,सिरदर्द, मिचली, थकान और कमजोरी का होना या चक्कर आना, मूत्र न होना अथवा इसमें कमी। उपरोक्त लक्षणें के चलते मनुश्यों के शरीर में निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है-उच्च तापमान से शरीर के अंातरिक अंगों, विशेषरूप से मस्तिष्क को नुकसान पहॅुचता है तथा इससे शरीर में उच्च रक्तचाप उत्पन्न हो जाता है,मनुष्य के हृदय के कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न होता है,जो लोग एक या दो घंटे से अधिक समय तक 40.6 डिग्री से0 105 डिग्री एफ0 या अधिक तापमान अथवा गर्म हवा में रहते हैं, तो उनके मस्तिष्क में क्षति होने की सम्भावना प्रबल हो जाती है। लू (हीट वेव) से बचने के उपाय (क्या करंे और क्या ना करें)-क्या करंे-प्रचार माध्यमों पर हीट वेव/लू की चेतावनी पर विशेषध्यान दें, विशेषरूप से गरम हवा के स्थिति जानने के लिये रेडियो सुने, टी0वी देखे, समाचार पत्र पर स्थानीय मौसम पूर्वानुमान की जानकारी लेते रहंे,अधिक से अधिक पानी पियें, यदि प्यास न लगा हो, तो भी पानी पिये ताकि शरीर मे पानी की कमी से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकें, हल्कें रंग के पसीना शोषित करने वाले हल्के वस्त्र पहनें,धूप में गमछे, चश्में, छाता, टोपी व पैरों में चप्पल का उपयोग अवश्य करें, अगर आप खुले में कार्य करतें हैं तो सिर, चेहरा, हाथ-पैरों को गीले कपड़े से ढ़के रहें तथा छाते का प्रयोग करें,लू से प्रभावित व्यक्ति को छाये में लिटाकर सूती गीले कपड़े से पोछे अथवा नहलायें तथा चिकित्सक से सम्पर्क करें,यात्रा करते समय पीने का पानी अवष्य साथ रख लें, गीले कपड़े को अपने चेहरे, सिर और गर्दन पर रखेें,शराब, चाय, काॅफी जैसे पेय पदार्थो का इस्तमाल न करे, यह शरीर को निर्जलित कर सकते है,ओ0आर0एस0 घोल घर में बने हुये पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी (माड़), नीबू पानी, छाछ, कच्चे आम से बना पन्ना आदि का उपयोग करें, जिससे कि षरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सकें,अगर आपकी तबीयत ठीक न लगंे, तो गर्मी से उत्पन्न हाने वाले विकारों, बीमारियों को पहचाने और किसी भी प्रकार की तकलीफ होने पर तुरन्त चिकित्सकीय परामर्श लंे,अपने घर को ठण्डा रखें, पर्दे, दरवाजे आदि का उपयोग करें तथा शाम/रात के समय घर तथा कमरों को ठण्डा करने हेतु इसे खोल कर रखें (अपनी सुरक्षा का विशेष ध्यान रखते हुए),पंखे, गीले कपड़ों का उपयोग करें तथा बार-बार अवश्यकतानुसार स्नान करें,कार्य स्थल पर ठण्डे पीने का पानी रखें और उसका नियमित उपयोग करते रहें, कर्मियों को सीधी सूर्य की रोशनी में जाने से बचने हेतु सावधान करें, श्रमसाध्य कार्यों को ठण्डे समय में करने/कराने का प्रयास करें,घर से बाहर होने की स्थिति में आराम करने की समयावधि तथा आवृत्ति को बढ़ायें,गर्भवती महिला कर्मिंयों तथा रोगग्रस्त कर्मियों पर अतिरिक्त एवं विशेष घ्यान रखें, क्या ना करें-धूप में खडें वाहनों में बच्चे एवं पालतू जानवरों को धूप न छोडें, कड़ी धूप (खासकर दोपहर 12ः00 बजे से 3ः00 बजे तक) के बीच सूर्य की रोशनी में जाने से बचें,आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण लें,गहरे रंग के भारी एवं तंग वस्त्र ना पहने इससे से बचें,जब गर्मी का तापमान ज्यादा हो तो श्रमसाध्य कार्य न करें,नषीले पदार्थ, शराब/अल्कोहल के सेवन से बचें,उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से बचें, बासी भोजन न करें।