ब्यूरो रिपोर्ट चित्रकूट।
चित्रकुट। प्रभु श्रीराम के संघर्ष, साधना एवं संकल्प की साक्षी तथा श्री सीताराम की बिहार-भूमि को सिंचित करने वाली मंदाकिनी नदी की प्रदूषित स्थिति से जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज अत्यंत व्यथित हैं। उनका मानना है कि मंदाकिनी नदी अपने पौराणिक महत्व को धारण करते हुए, नारी संकल्प का प्रतीक होते हुए, चित्रकूट धाम की जीवन रेखा भी है। उन्होंने अपने उत्तराधिकारी आचार्य रामचन्द्र दास जी महाराज को निर्देश दिया है कि कम से कम श्री तुलसी पीठ से संलग्न क्षेत्रों में मंदाकिनी की सफाई की जिम्मेदारी उनको उठानी है। गुरु के आदेश को शिरोधार्य रखते हुए आचार्य रामचन्द्र दास जी महाराज के नेतृत्व में शिष्यों तथा परिकरों ने 04 अप्रैल 2024 को स्वच्छता अभियान चलाया। इन धर्मयोद्धाओं ने ठोस अपशिष्ट को नदी से बाहर निकालने के साथ ही तट की भी सफाई की। साथ ही साथ उन लोगों ने छोटे तटबंध बनाकर प्रवाह में आ रहे ठोस अपशिष्ट को अवरुद्ध करने का भी प्रबंध किया। इस दौरान आचार्य रामचन्द्र दास जी महाराज ने मंदाकिनी नदी के पौराणिक महत्व पर चर्चा करते हुए रामचरित मानस का उद्धरण दिया, “रामकथा मंदाकिनी चित्रकूट चित चारु। तुलसी सुभग सनेह बन सिय रघुबीर बिहरु”। उन्होंने बताया कि चित्रकूट संतों को पालने वाली माँ है तो मंदाकिनी चित्रकूट को पालने वाली माँ है। इसलिए मंदाकिनी की स्वच्छता रामानन्द मिशन का सबसे प्रमुख संकल्प होना चाहिए। उनकी प्रेरणा से तीर्थयात्रियों ने भी प्रसन्नतापूर्वक अभियान में सहभागिता की। सभी ने मंदाकिनी की निरन्तर सेवा का संकल्प लिया। इस अभियान में जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यान्ग राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शिशिर पाण्डेय के नेतृत्व में शिक्षकों तथा कर्मचारियों ने भी सहभागिता की। प्रो पाण्डेय ने कहा कि पूज्य जगद्गुरु जी की प्रत्येक इच्छा हमारे लिए ईश्वरीय प्रेरणा की तरह है। उनके साथ पूज्य जगद्गुरु के शिष्य आचार्य हिमांशु त्रिपाठी, मदन मोहन, वरुण, रमन, विश्वम्भर, गोविन्द इत्यादि सहभागी रहे।