संवाददाता – मिथिलेश कुमार भारद्वाज।
डाला सोनभद्र- नगर में स्थित समस्त छठ घाटों पर श्रद्धालुओं का उमड़ी भीड़, नन्हे मुन्ने भी छठ घाटों पर उठाया लुप्त महापर्व छठ पर लाखों श्रद्धालु रविवार को अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना किया। शनिवार को कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन छठव्रती खरना की पूजा कर 36 घंटे का निर्जला व्रत की लोगों ने शुरुआत की। आज कार्तिक शुक्ल षष्ठी की शाम को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को जल से अर्घ्य दिया गया। सोमवार को कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदीयमान भगवान सूर्य को दूध एवं जल से अर्घ्य दिया जाएगा। अर्घ्य के बाद व्रती घाट के निकट बने सूर्य पिंडों के पास बैठकर भगवान भास्कर की पूजा करेंगे। अर्घ्य और पूजा के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत भी समाप्त हो जाएगा। वहीं डाला बाड़ी में स्थित सोन नदी में छठ घाट पर राज्य मंत्री संजीव सिंह गोड़ अपने सपरिवार सहित भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दिया इसके साथ ही जनपद समेत उत्तर प्रदेशवासियों को छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं दी जहां नगर पंचायत डाला बाजार की अध्यक्षा फुलवंती कुमारी ने भी नगर के सभी छठ घाटों पर पहुंचकर नगरवासियों को छठ पूजा की शुभकामनाएं देते हुए छठ मैया से आशीर्वाद लिया।
इस दौरान नगर अध्यक्षा फुलवंती कुमारी, मंगला प्रसाद जयसवाल पारसनाथ यादव, आशोक चौधरी अवनीश पांडेय, विनय कुमार बबूदर पाठक नागेंद्र पासवान संतोष कुमार उर्फ शेरा,सत्रुधन मौर्य सुग्रीव भारद्वाज आदि छठ पूजा कार्यकर्ता मौजूद रहे
शुभ मूहूर्त
व्रत रखने वाली महिलाएं और पुरुष ग्रह-नक्षत्रों के शुभ संयोग के बीच अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया। रविवार को भगवान सूर्य का भी दिन माना गया है। ऐसे में इस दिन सूर्य उपासना की महत्ता और ज्यादा होती है। इसके बाद सोमवार भोर में भी उगते सूर्य को अर्घ्य देते वक्त शुभ योग रहेंगे। ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि रविवार को सूर्यास्त शाम 5:14 बजे होगा। इस समय वृद्धि और श्रवण नक्षत्र रहेगा। वृद्धि योग रात 11:28 बजे तक है। इस योग में सूर्य उपासना से सुख-समृद्धि में अपार वृद्धि होती है। वहीं, श्रवण चंद्रमा का नक्षत्र है, जो शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र में पूजा शुभत्व प्रदान करती है। वहीं सोमवार सूर्योदय सुबह 6:29 बजे होगा। इस समय ध्रुव योग और धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा। ध्रुव योग को स्थिर योग कहा गया है। इस समय किया काम स्थिर रहता है। वहीं, धनिष्ठा मंगल का नक्षत्र है। इस नक्षत्र में पूजा-पाठ स्थिरता प्रदान करती है।