संवाददाता – रविन्द्र सिंह।
राजगढ़/मीरजापुर। विकासखंड राजगढ़ क्षेत्र के धनसीरिया निकरिक के मध्य, नदिहार राजगढ़ के मध्य बना 20 लख रुपए की लागत से शवदाह गृह बनाए गए हैं। शवदाह गृह में शांति स्थल शौचालय ऑफिस रूम बनाया गया है। साथ ही पीने के पानी के लिए हैंडपंप भी लगाया गया है बैठने के लिए टीनशेड लगाया गया है। ऑफिस रूम में रजिस्ट्री एंट्री और अन्य प्रकार के हिसाब लिखे जाते थे ।लेकिन अब वह पूरी तरह से गायब हो चुके हैं। कोरोना महामारी में जिंदा तो जिंदा मुर्दा होने के बाद भी इंसान का संघर्ष खत्म नहीं हुआ ऐसे ऐसे देश दिखाई दिए जिनकी कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ऐसे में जब अंतिम संस्कार के लिए जरूरत पड़ी तो कहीं भी शवदाह गृह खुद अपनी दुर्दशा पर आंसू बहता रहा लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया है।शवदाह गृह में बड़े-बड़े घास झाइयां ग जाने से और रास्ता न होने से लोग यहां जाना उचित नहीं समझते हैं। यहां पर नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है जो पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुका है।शवदाह गृह धनसीरिया निकरिका के मध्य में शवदाह गृह के बगल में चेक डैम बनाया गया है। जहां पर लोग स्नान कर सकें पहले यहां पर निशुल्क लड़कियां दी जाती थी वर्ष 2016-17 से गंगा निर्मली कलर के लिए भारत सरकार अनेक योजनाएं चलाई थी गंगा किनारे कहीं भी शव को ना जलाया जाए। इसके लिए प्रदेश सरकार ने गांव-गांव में शवदाह गृह बनवाया यह अभियान लगभग 1 साल तक चला इसके बाद गांव के लोग शवदाह गृह जाना छोड़ दिए हैं और चुनार, मीरजापुर, बनारस जाकर शव का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। जिसमें ग्राम प्रधान का सहयोग न मिलने से ग्राम वासी भी यहां पर आना छोड़ दिए हैं पहले ग्राम सभा से लड़कियों दी जाती थी। ग्राम प्रधान इसके अध्यक्ष हुआ करते थे ,लेकिन अब ग्राम सभा ने अपना मुंह भी मोड़ लिया है। यहां पर अधिकारी आना उचित नहीं समझते हैं।
ग्रामीण मनोज भारती, संदीप कुमार, कृष्ण कुमार, जगदीश सिंह ,रामप्यारे, विनोद कुमार, विनय कुमार ने कहा कि शवदाह गृह 20 लख रुपए की लागत से बनाए गए थे जहां पर गरीब तबके के लोगों को गांव में ही सुविधा देने के लिए सरकार ने योजना को लाया लेकिन ब्लाक कर्मचारियों और ग्राम प्रधानों की मिली भगत से योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है साथ ही ब्लॉक कर्मचारी और ग्राम पंचायत इस शवदाह गृह से अपना मुंह मोड़ रहे हैं। जो धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो रहा है और दरवाजे खिड़कियां सभी गायब हो रहे हैं देखने वाला यहां पर कोई नहीं है।
परड़वा में बना शवदाह गृह केवल गांव की शोभा बढ़ा रहा है। यहां पर भी गांव के लोग दाह संस्कार के लिए नहीं आ रहे हैं ।केवल कागजों पर दाह संस्कार हो रहे हैं और अधिकारी वह भाई लूटने में मशगूल है।शवदाह गृह कलवारी में भी बनाया गया है जो उपेक्षा का दर्द झेल रहा है इतनी लागत लगाकर ग्राम पंचायत में और कर पाए जाते तो बहुत विकास होता लेकिन ग्राम प्रधान और ब्लाक कर्मचारियों को मिली भगत से शवदाह गृह नशेड़ियों और जारी का अड्डा बनता जा रहा है। जिससे यह नशेड़ियों का अड्डा बन गया और खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। लाखों की लागत से बना शवदाह गृह नशेड़ियों और जारी के लिए अड्डा बन चुका है। इस संबंध में जब खंड विकास अधिकारी राजगढ़ रमाकांत से बात हुई तो उन्होंने कहा कि जानकारी है लेकिन इसे एडियो पंचायत काम को देखेंगे जब राजगढ़ ब्लॉक के एडियो पंचायत पुरेन्द्र कुमार से बात हुई तो उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान के माध्यम से कार्य कराया जाएगा ब्लॉक से बजट पास नहीं होगा जो भी कार्य होगा ग्राम पंचायत ही कराएगा। 20 लाख की लागत से बना शवदाह गृह अधिकारियों के कान पर जू नहीं रेंग रहा है। ऐसे शवदाह गृह बनाने का क्या फायदा जो ग्रामीणों के लिए अंतिम संस्कार के लिए गांव में सुविधा होते हुए भी बनारस जाना पड़ रहा है। जहां पर उन्हें आर्थिक के साथ-साथ मानसिक छटी उठानी पड़ रही है।