संवाददाता – विकास कुमार हलचल।
- 1990 से पहले के पंजीकृत अधिवक्ताओं को शैक्षणिक प्रमाण पत्र नहीं देना है।
- अधिवक्ताओं को प्रैक्टिस का सिर्फ चार वर्ष 2018 से 2022 तक का देना होगा प्रमाण।
- कोरैना के चलते वर्ष 2020 की दी गई है छूट।
- सीओपी वेरिफिकेशन शुल्क 250 रूपये लगेगा।
सोनभद्र। यूपी बार काउंसिल सदस्य सचिव एडवोकेट लखनऊ हाईकोर्ट जय नारायण पांडेय।
सोनभद्र। यूपी बार काउंसिल सदस्य सचिव एडवोकेट हाईकोर्ट लखनऊ जयनारायण पांडेय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट एवं बार काउंसिल ऑफ इंडिया के आदेशानुसार सभी अधिवक्ताओं को सीओपी वेरिफिकेशन फार्म व री – इश्यू फार्म भरना अनिवार्य है। सिर्फ 1990 से पहले के पंजीकृत अधिवक्ताओं को शैक्षणिक प्रमाण पत्र नहीं देना है। इसके बाद के पंजीकृत सभी अधिवक्ताओं को शैक्षणिक प्रमाण पत्र देना अनिवार्य है। बता दें कि यूपी बार काउंसिल सदस्य सचिव जय नारायण पांडेय एडवोकेट ने बार काउंसिल अध्यक्ष को 21 अगस्त को पत्रक देकर कहा था कि अधिवक्ताओं के सीओपो नवीनीकरण शुल्क जो 500 रूपये बार की पूर्व बैठक में निर्धारित किया गया है वह बहुत अधिक है। उसे बर्चुअल बैठक बुलाकर कम किया जाए। यूपी बार काउंसिल अध्यक्ष शिव किशोर गौड़ एडवोकेट ने इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल वर्चुअल बैठक बुलाई, जिसमें सर्वसम्मति से 250 रूपये सीओपी नवीनीकरण शुल्क निर्धारित किया गया है। यूपी बार काउंसिल सदस्य सचिव जयनारायण पांडेय ने बताया कि अधिवक्ताओं को अबकी बार सिर्फ चार वर्षो 2018, 2019, 2021 व 2022 की प्रैक्टिस का प्रमाण पत्र देना होगा। क्योंकि कोरैना के चलते वर्ष 2020 की प्रैक्टिस के प्रमाण पत्र की छूट प्रदान की गई है। प्रैक्टिस प्रमाण पत्र के रूप में काज लिस्ट, वकालतनामा, नोटरी अधिवक्ता, मिडिएटर, शासकीय अधिवक्ता, शपथ आयुक्त, रिटेनर की नियुक्ति प्रमाण पत्र आदि शामिल किया जा सकता है। सीओपी वेरिफिकेशन फार्म को अपने जिला बार एसोसिएशन, तहसील बार एसोसिएशन, यूपी बार काउंसिल सदस्य से प्रमाणित कराना अनिवार्य है। अगर कोई अधिवक्ता किसी बार का सदस्य नहीं है तो उसे शपथ पत्र के जरिए कारण दर्शाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग गलत तथ्यों का प्रचार कर रहे हैं उसे दरकिनार करते हुए सभी अधिवक्ता सीओपी वेरिफिकेशन फार्म / री -इश्यू फार्म भरना सुनिश्चित करें।