संवाददाता-प्रदीप कुमार
कोयला और उससे आधारित बिजली संचालन होने की संभावना को लेकर परिचर्चा का कानपुर में आयोजन
विस्थापन,बीमारी और बेरोजगारी दूर करने पर भी हुई चर्चा
लिलासी/सोनभद्र/सिंगरौली परिक्षेत्र में कोयला और बिजली कारखानों के आस पास रहने वाले लोगो के जीवन स्तर को ऊपर उठाने और आर्थिक स्वावलंबन बढ़ने के साथ भविष्य में कोयला खत्म हो जाए तो वहा के रहवासियों और अधिकारियों कर्मचारियों को किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ेगा ।इस मुद्दे को लेकर देश की जानी मानी संस्थान आई आई टी कानपुर में शुक्रवार को एक परिचर्चा का आयोजन किया गया।जिसमे जाने माने पर्यवारण कार्यकर्ता और प्रदूषण,अवैध खनन को लेकर आवाज बुलंद करने वाले जगत नारायण विश्वकर्मा ने संस्थान के विशेष तौर पर बुलावे के साथ यहाँ की स्थित से शोध छात्रों और प्रोफेसर को अवगत कराते हुए कहा कि देश के कुल बिजली उत्पादन में बिसवा हिसा अकेले सोनभद्र सिंगरौली में बिजली उत्पादन होता है इसके लिए तीन लाख टन से ज्यादा कोयला रोज जलाया जाता है। और उद्योगों की स्थापना से विस्थापन, बेरोजगारी और बीमारी तीन चीजे बिकराल रूप ले ली है।संस्कृति, जल जंगल जमीन से बेदखल स्थानीय निवासियों को उद्योग और खदान में 70 फीसदी स्थानीय लोगो को रोजगार देने की बात विश्वकर्मा ने रखी और स्थानीय लोगो के लिए अलग से रोजगार सृजन उनके अनुरूप उपलब्ध कराने की वकालत की।सामाजिक कार्यकर्ता आनद गुप्ता ने आगामी योजना और शौर्य ऊर्जा को बिजली उत्पादन बंद होने पर विकल्प के रूप ने रखा और कहा कि विस्थापित लोग खुशहाल नही है नौकरियों में स्थानीय लोगो को प्राथमिकता नही दी जा रही।अन्य वक्ताओं ने रोजगार को बेहतर बनाने और बाहर उपलब्धता,जीवन शैली में बदलाव जैसे मुद्दों पर बात रखी।