महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जयंती पर प्रदेश अध्यक्ष ने अर्पित किया श्रद्धा सुमन।
संवाददाता – राधारमण पाण्डेय
सोनभद्र। पंडित चन्द्रशेखर आजाद एवं बाल गंगाधर तिलक भारत माँ के सच्चे सपूत थे।भारत की आजादी में उनके अतुलनीय योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता। उक्त बातें सँयुक्त अधिवक्ता महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष राकेश शरण मिश्र ने दोनों महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जयंती के अवसर पर नगर स्थित कार्यालय पर उनके चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि पंडित बाल गंगा धर तिलक शिक्षक, पत्रकार,समाज सुधारक और वकील होने के साथ साथ महान देश भक्त थे। वे देश की आजादी में अपने क्रांतिकारी लेखनी और उदबोधन से आजादी की लड़ाई लड़ने वालों के अंदर अद्भुत जोश भर दिया करते थे। अंग्रजों ने इनसे परेशान होकर इन्हें 7 साल तक बर्मा की जेल में डाल दिया फिर भी इनकी कलम चलती रही और जेल में ही उन्होंने गीता रहस्य लिख डाला। अंग्रेजी हुकूमत इनके क्रांतिकारी विचारों से इतनी परेशान हो गई कि इन्हें भारतीय अशांति का पिता कहने लगी। वही महान क्रांतिकारी पंडित चंद्रशेखर आजाद ने मात्र 14 वर्ष की आयु में ही भारत माँ को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त करवाने के लिए प्रतिज्ञा की और भारत की आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। महात्मा गांधी जी के असहयोग आंदोलन से लेकर सरदार भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, राजगुरु आदि क्रांतिकारियों के साथ मिलकर अंग्रेजी शासन की ईंट से ईंट बजा कर अंग्रेजों के नाक में दम कर दिया और मरते दम तक अंग्रेजो के हाथ नही लगे। उन्होंने संकल्प लिया था कि मैं जीते जी अंग्रेजो के हाथ नही आऊँगा और ना ही अंग्रेजो की गोली से मरूँगा। इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में जब वो अंग्रेजी पुलिस द्वारा चारो तरफ से घेर लिए गए तो लड़ते लड़ते जब एक गोली उनके पिस्टल में बची तो उन्होंने खुद ही अपनी कनपटी पर गोली मारकर अपने को भारत मां मां को अलविदा कह गए। पंडित चंद्रशेखर आजाद अदम्य साहसी, निर्भीक और राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत थे जो आज भी देश प्रेमियों के प्रेरणा स्रोत हैं और हमेशा बने रहेंगे। इस अवसर पर अधिवक्ता उमापति पांडेय, प्रदीप धर, आशुतोष पाठक, अनिल कुमार पांडेय, अरुण कुमार चौबे, हिमांशु मिश्र, अनिल कुमार मिश्र, रामेश मिश्र, नीलेश मिश्र आदि उपस्थित रहे।