परिषदीय विद्यालयों में व्यवस्थाएं दुरुस्त करने को सरकार ने करोड़ों रुपये चालू वित्तीय वर्ष में खर्च कर चुकी है लेकिन शौचालय निर्माण पूरा नहीं हो सका पूरा।
जिम्मेदार अफसर इसे लेकर जहां गंभीर नहीं हैं। वहीं जन प्रतिनिधियों भी उदासीन हैं। ऐसे में स्वच्छ भारत मिशन का सपना साकार होता नहीं दिख रहा।
भ्रष्टाचार की नींव पर हो रहा शौचालय का निर्माण अधूरा
देश में स्वच्छ भारत मिशन की गूंज है। सीएम से लेकर पीएम तक झाड़ू लेकर
विंध्य ज्योति संवादाता विकास कुमार हलचल।
खरहरा (सोनभद्र) : देश में स्वच्छ भारत मिशन की गूंज है। सीएम से लेकर पीएम तक झाड़ू लेकर स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं। गांव को ओडीएफ बनाने के साथ ही परिषदीय विद्यालयों को स्वच्छ भारत मिशन से जोड़ा जा रहा है। ऐसे में सरकारी कारकुन ही इस मिशन को पलीता लगा रहे हैं। हम आपको ऐसी स्टोरी में एक ऐसी सच्चाई बता रहे हैं जो भ्रष्टाचार की एक अलग तस्वीर पेश कर रही है. यह तस्वीर उत्तर प्रदेश राज्य से आई है. एक शौचालय निर्माणाधीन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है. अधिक से अधिक राशि निकासी के लिए गया है. उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के खरहरा गांव में एक विद्यालय में शौचालय का निर्माण अधूरा पड़ा है शौचालय निर्माण में मानक की अनदेखी की जा रही है। पुराने व खराब ईंटों को लगाकर भ्रष्टाचार की नींव पर शौचालय का निर्माण अधूरा पड़ा है। मामला चोपन ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय खरहरा सोनभद्र मुखिया फार्म से जुड़ा है। विद्यालयों में व्यवस्थाएं दुरुस्त करने को सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर चुकी है, लेकिन शौचालय, निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका। जिम्मेदार अफसर इसे लेकर जहां गंभीर नहीं हैं। वहीं जन प्रतिनिधि भी उदासीन हैं। ऐसे में स्वच्छ भारत मिशन का सपना साकार होता नहीं दिख रहा। स्थानीय विकास खंड चोपन के खरहरा प्राथमिक विद्यालय को ही लें तो शौचालय निर्माण को गड्ढा खोदकर आधा जुड़ाई कर छोड़ दिया गया है। इससे शिक्षक व छात्र खुले में शौच करने को विवश हैं। विद्यालय परिसर में शौचालय निर्माण के लिए पिछले 2 सालों में गड्ढे की खोदाई की लेकिन, शौचालय व टैंक का निर्माण भ्रष्टाचार के भेद चढ़ा अधुरे में लटका हुआ है। आरोप है कि प्रधान व ग्राम सचिव की बंदरबांट से निर्माण कार्य अधर में लटका है। विद्यालय परिसर छोटा होने से बच्चों को आवागमन व खेलकूद में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। महिला शिक्षक और बच्चियों को शौच के लिए आस-पास के घरों में जाना पड़ता है। हालांकि विद्यालयों में गर्मी का मौसम होने के कारण अवकाश था। फिर भी शौचालय का निर्माण अधूरा होने से यहां विभागीय कार्य संपादित करने को शिक्षक उपस्थित हो रहे हैं, उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अभिभावकों ने कहा संबंधित विभाग के अधिकारियों से निर्माण कार्य अविलंब पूर्ण कराने को फरियाद की गई है। अफसर समस्या को लेकर गंभीर नहीं हैं। लेकिन इनके लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है। एक पुराना शौचालय है जिसमें गंदगी का अंबार लगा है। बदबू की वजह से इसके पास खड़ा होना भी दूभर होता है। सालों से इसकी सफाई नहीं हुई है।
जबकि एक शौचालय बना है इसमें भी सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। वहीं विद्यालय में पढ़ने वाली बालिकाओं व महिला स्टाफ को शौचालय नहीं होने से सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। विद्यालय में चाहर दिवारी होने के बावजूद यहां अराजकतत्वों का जमावड़ा रहता है। कई बार विभाग के अधिकारियों से शौचालय की मांग की गई है लेकिन अधिकारियों के बंदरबांट के वजह से अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पिछले पांच सालों से यहीं सिलसिला चला आ रहा है।