ब्यूरो रिपोर्ट सोनभद्र।
रजखड़ के एक विद्यालय से जारी जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर, पीड़िता को झूठा साबित करने का किया गया प्रयास।
सोनभद्र। विधायक की ओर से पीड़िता के स्कूली शिक्षा के आधार पर रजखड़ के एक विद्यालय से जारी जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर, पीड़िता को झूठा साबित करने का प्रयास किया गया । वही पीड़िता के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए इसे विधायक द्वारा अपने पद के प्रभाव का उपयोग किया है और कहा कि यह प्रमाण पत्र सौ फीसदी फर्जी, मनगढ़ंत और दबाव में बनवाया गया है ताकि न्यायालय गुमराह कर पीड़िता को न्याय से वंचित कर सके स्कूल में प्रथम प्रवेश के समय उसकी जन्म तिथि क्या अंकित है और उसकी पुष्टि हेतु उक्त विद्यालय के प्रधानाध्यापक का बयान आदि की कार्यवाही न्यायालय में हो चुकी है और सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि उस समय आरोपी विधायक ने कभी भी उक्त पीड़िता के जन्म तिथि के बाबत ऐतराज नहीं जताया ऐसे में अब इतने दिनों के बाद आरोपी विधायक द्वारा उक्त पीड़िता के घर से लगभग 45 किमी दूर के विद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने तथा उक्त विद्यालय से जारी दूसरी जन्म तिथि का उल्लेख करना जो पीड़िता के पहले की जन्म तिथि से लगभग 04 वर्ष पहले की है। अधिवक्ता विकाश शाक्य ने कहा कि आरोपी विधायक का पीड़िता का दूसरी जन्म तिथि बताने का मकसद केवल पास्को एक्ट से बचने की जुगत भर है और कुछ नहीं | पीड़िता के अधिवक्ता ने कहा कि एफआईआर की विवेचना के दौरान ही पुलिस द्वारा यह सम्पूर्ण साक्ष्य जुटाया गया कि पीड़िता ने सर्वप्रथम किस विद्यालय में नामांकित हुई और उक्त विद्यालय द्वारा उसकी क्या जन्मतिथि अंकित की गई और पुलिस द्वारा संकलित साक्ष्य के मद्देनजर ही न्यायालय ने उक्त विद्यालय की प्रधानाध्यापिका का आदि से पुलिस द्वारा जन्मतिथि के बाबत संकलित साक्ष्यों की पुष्टि की जा चुकी है ऐसे में आरोपी विधायक द्वारा पीड़ित के दूसरे विद्यालय में नामांकित होने व उसमें उसकी जन्मतिथि दूसरी होने का उल्लेख करते हुए नए सिरे से मुकदमे की जिरह आदि की मांग करना मुकदमे में देरी करने की कोशिश है जिससे कि पीड़िता को न्याय मिलने में देरी हो अब देखना होगा कि न्यायालय आरोपी विधायक के उक्त प्रार्थना पत्र पर क्या रुख अपनाती है। वहीं कानून के जानकारों का कहना था कि जब न्यायालय में उक्त पीड़िता के जन्मतिथि की पुष्टि के लिए पुलिस द्वारा संकलित साक्ष्यों की पुष्टि के लिए पीड़िता के स्कूल में प्रथम दाखिला लेने वाले विद्यालय के प्रधानाचार्य आदि के न हो रहे थे यदि उक्त पीड़िता वहां नहीं पढ़ी थी तो उसी समय आरोपी को विरोध दर्ज कराना चाहिए था। अब जब मुकदमे की कार्यवाही लगभग पूर्ण हो चुकी है और मुकदमा फैसले के लगभग नज़दीक है तब आरोपी पक्ष की तरफ से जन्मतिथि के बाबत यह नया तथ्य लाना चौकाता अवश्य है।
वही पीड़ित के अधिवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री, व पुलिस अधीक्षक को पत्र मेल के माध्य से भेजा गया है।वही लड़की के भाई ने बताया कि कई बार लड़की से बोल चुके है कि अपना बयान पलट दो नही तो तुमारे घर वालो को और तुमको मार देंगे।