विंध्य ज्योति / विजय कुमार अग्रहरी।
जुगैल। सोनभद्र। रेणुका नदी पर आदिवासी कहा जाने वाला क्षेत्र ग्राम जुगैल में हिंदू परंपरा में धर्म का आदि अनादि काल से सूर्य की उपासना व शिव की आराधना सहित प्रकृति की पूजा का विधान विभिन्न कॉल खण्डो में रहा है जिसकी पौराणिक एवं इतिहासकारों ने भी उल्लेख किया है। ऐसे में हीं सूर्य की उपासना का पावन महापर्व छठी मैया जो भगवान कार्तिकेय की पत्नी है को प्रसन्न करने के लिए कालांतर में लंका पर विजय प्राप्ति के उपरांत द्वापर युग में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम एवं माता सीता ने सूर्य की उपासना गुरु वाल्मीकि के सुझाव पर अयोध्या के सुख शांति एवं समृद्धि के लिए व्रत रखा था, सूर्यपुत्र महान दानी कर्ण ने भी सूर्य की उपासना की थीं। पर्व पर श्रद्धांलू कठोर 36 घंटे का निर्जला व्रत इसमें रखते है जो चार दिनों तक चलता है पहले दिन ” नहाए खाए ” दूसरे दिन “खरना ” तीसरे दिन ” डूबते सूर्य को अर्ध्य ” और चौथी दिन ऊषा अर्ध्य अर्थात सुबह सूर्य देवता उदय के वक्त दिया जाता है। ग्राम प्रधान जुगैल सुनीता यादव व ग्राम प्रधान प्रतिनिधि दिनेश कुमार यादव ने नदी पर व्यवस्था कराया गया जो कि किसी श्रद्धालु को कोई परेशानी ना हो छठ पर्व पर व्यवस्था में जुटे रहे विनोद तिवारी, कालीचरण खरवार, बाबूलाल, फुलचंद यादव,मथुरा केशरी, राजेश यादव, आदित्य प्रजापति,आदि ग्राम के हजारों लोग मौजूद रहे।