संवाददाता। राकेश शरण मिश्र।
(संयुक्त अधिकता महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ने मेरठ में अधिवक्ता सम्मेलन का किया पूर्ण समर्थन)
सोनभद्र। विगत दिनों अधिकताओं के मौलिक अधिकारों के विरोध में उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश के विरोध में प्रदेश भर के अधिवक्ताओं में भयंकर आक्रोश व्याप्त है जिसको लेकर मेरठ बार एसोसिएशन के तत्वाधान में अधिवक्ताओं का महासम्मेलन आज 18 अक्टूबर को मेरठ बार एसोसिएशन के महात्मा गांधी सभागार में आयोजित किया गया और सम्मेलन में अधिकताओं के हितों को लेकर प्रदेश भर के जिला बार एसोसिएशन एवम तहसीलदार बार एसोसिएशन के आमंत्रित अध्यक्ष और मंत्री सहित प्रदेश भर के अधिकता संघों के पदाधिकारीयो ने पहुंच कर सम्मेलन में अपना पूर्ण विश्वास जताते हुए सम्मेलन को सफल बनाने का संकल्प लिया। इस मुद्दे पर संयुक्त अधिवक्ता महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष राकेश शरण मिश्र ने बयान जारी करते हुए अधिवक्ताओं के महासम्मेलन का पूर्ण समर्थन करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि संयुक्त महासंघ लगातार अधिवक्ता हितों के लिए संघर्ष करता रहा है आगे भी करता रहेगा। और अधिवक्ता हितों के लिए आगे जब भी कोई आंदोलन होगा उसका पूर्ण समर्थन संयुक्त अधिवक्ता महासंघ करता रहेगा। उन्होंने कहा कि आज अधिवक्ताओं के मौलिक अधिकारों पर कुठाराघात किया जा रहा है जबकि अधिकताओं को जो मूलभूत सुख सुविधा बार कौंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश से और सरकार से मिलनी चाहिए वह ना तो बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश से मिल रही है और ना ही प्रदेश सरकार द्वारा ही मिल रही है। श्री मिश्र ने कहा है कि अधिवक्ता स्वयं की मेहनत के बल पर अपने पास आए हुए मुवक्किलो का काम करके जो फीस पाता है उसी से अपने घर परिवार का गुजारा करता है।उसे ना तो मेडिकल की कोई सुविधा मिलती है और ना ही वकालत छोड़ने पर या वृद्ध होने पर सरकार या बार काउंसिल द्वारा कोई पेंशन ही मिलता है। उन्होंने मांग किया की प्रदेश सरकार को अधिकताओं के तमाम मांगों को गंभीरता पूर्वक संज्ञान में लेकर के अधिकता सुरक्षा अधिनियम सहित अन्य सभी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने का काम करना चाहिए क्योंकि अधिकताओं ने आजादी की लड़ाई से लेकर के आज तक देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है उसके बाद भी जब किसी अधिवक्ता के ऊपर किसी प्रकार का कोई संकट आता है तो उसका कोई साथ नहीं देता है। इसलिए प्रदेश सरकार से मांग करता हूं कि जल्द से जल्द अधिवक्ताओं की सभी लंबित मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने का काम करे अन्यथा आने वाले दिनों में प्रदेश व्यापी आंदोलन को रोकना सरकार के लिए मुश्किल काम होगा।