दीपावली के त्यौहार की तैयारी में लोग घर और दुकानों को रंगने में लगे हैं। ब्रांडेड रंगों की मांग बढ़ गई है, खासकर वाटर प्रूफ और इमलसन पेंट्स की। परिवार अब रंगों का चयन मिलकर करते हैं। इसके साथ ही,…
देवरिया, निज संवाददाता। दीपावली का त्यौहार करीब है। लोग घर व दुकानों को रंगने की जुगत में लग गए हैं। हर साल की तरह इस वर्ष भी ब्रांडेड रंगों की मांग बाजार में अधिक है। अच्छी कंपनियों के आउटलेट पर ग्राहक उमड़ रहे हैं। रंग की दुकानें ग्राहकों से पट गई हैं। लोग अपनी रुचि के अनुसार पेंट खरीद रहे हैं। ग्राहक गुणवत्ता को प्राथमिकता देने रहे हैं। इसके चलते बर्जर, एशियन पेंट्स, नेरोलेक समेत अनेक ब्रांडेड कंपनियों के पेंट के आउटलेट ग्राहकों से खचाखच भरे रहते हैं। अब लोगों का फोकस वाटर प्रूफ व इमलसन पेंट पर है। कंपनियां दीवारों को रंग रंगने के लिए केवल सैकड़ों कलर बाजार में उपलब्ध हैं। वहीं मौसम से बेअसर रहने वाले पेंट और लंबे समय तक चलने वाले पेंट की रेंज कंपनियों ने उतार रखी है। लकड़ी व लोहे के लिए भी 4-5 प्रकार के पेंट बाजार में उपलब्ध हैं। इसका लाभ यह है कि ग्राहकों के पास चुनने के लिए बहुत कुछ है। लकड़ी के पेंट 250 से 300 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। दीवारों पर लगने वाला पेंट तीन हजार से 10 हजार रुपये प्रति 20 लीटर का है। प्राथमिक स्तर का पेंट कलर के हिसाब से 180 से 300 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। वहीं मीडियम क्वालिटी का वेदरकोट पेंट 350 से 500 रुपये प्रति लीटर के रेंज में है। गंगा प्रसाद एंड संस के दिलीप अग्रवाल बताते हैं कि लोग कलर के बारे में अब अधिक जागरुक हो गए हैं। हजारों तरह के रंग कंपनियों ने उतार दिए हैं। अब घर के लिए पूरा परिवार मिलकर रंग का चयन करता है। इससे महंगे पेंट की बिक्री बढ़ गई है। इसमें बढ़ती मजदूरी भी एक कारण है। यंग जेनरेशन चटक और साफ्ट रंगों का कंट्रास्ट पसंद करती है। वहीं लोग लांग लाइफ फ्लेक्सो, वेदर कोट एंटी डस्ट बाहरी दीवारों पर लगाने लगे हैं। अंदर के लिए सिल्क वाले रंग पंसद किए जा रहे हैं। वहीं पेंट्स स्टेशन की श्वेता अग्रवाल का कहना है कि ब्रांडेड कंपनियों के पेंट पर क्वालिटी का भरोसा है। अब नार्मल पेंट के साथ घर की कुछ दीवारों पर लोग टेक्सचर पसंद करने लगे हैं। कंपनी ब्यूटीफुल होम के तहत होम सर्विस दे रही है। पूरी जिम्मेदारी से कंपनी के विशेषज्ञ घर का सर्वे करते हैं और गृहस्वामी के साथ विचार कर रंग का निर्णय लेते हैं। इसमें कस्टमर टेंशन फ्री हो जाता है। एसीई, एपेक्स, अल्टिमा बाहरी दीवारों के लिए पसंद किए जा रहे हैं। अंदर के लिए अन्य पेंट हैं।
अब पूरा परिवार करता है घरों के रंग का निर्णय
कुछ साल पहले तक घर के बड़े बुजुर्ग दुकान पर जाकर अपनी पसंद का रंग खरीद लाते थे। बहुतेरे तो पूरे घर में अंदर और बाहर एक ही रंग में घर रंगवा लेते थे। समय बदला तो महिलाओं की घर के मामलों में दखल बढ़ गया है। परिणामस्वरूप घर रंगने में भी रंग घर में ही तय होता है। यही नहीं पूरा परिवार बैठकर शेड कार्ड या कम्प्यूटर पर ब्रांडेड कंपनियों की वेबसाइट पर जाकर रंग पसंद करता है। इसके अलावा कंपनियां भी नई तकनीक के माध्यम से घर पर रंग तय करने में सहायता करती हैं।
पेंट की जगह अब वालपेपर की बढ़ी मांग
घर की दीवारों पर रंग की जगह वालपेपर लगाने का चलन अब बढ़ गया है। अब तक लोग लोकल कंपनियों से वालपेपर खरीदकर दुकानों और कामर्शियल प्लेसेज में लगाते थे। अब इस रेस में ब्रांडेड कंपनियों के आ जाने से बेहतरीन व ड्यूरेबल क्वालिटी वाले वालपेपर बाजार में उपलब्ध हो गए हैं। इसका खर्च तीन हजार से तीस हजार रुपये प्रति रोल है। यह रोल 50 वर्गफीट का आता है।
महंगी होती मजदूरी ने अच्छी क्वालिटी के पेंट की बढ़ाई खपत
दुकानदारों का कहना है कि रंगाई पुताई अब दीपावली की बात नहीं रह गई है। लोग घर बनवाते ही रंगवा लेते हैं। या फिर शादी विवाह के लिए घर रंगवाने पर जोर रहता है। घर रंगवाने में मजदूरी अब काफी महंगी हो गई है। इसके चलते लोग अच्छी क्वालिटी के सालो साल चलने वाले रंगों का प्रयोग करने लगे हैं।