भारत में मानसिक रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं। महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज में औसतन सौ रोगी हर दिन आते हैं। संयुक्त परिवार के विघटन, कार्यस्थल पर वर्कलोड और…
देवरिया, निज संवाददाता। भारत में मानसिक रोगियों में तेजी से वृद्धि हो रही है। शहरों से होते हुए यह रोग छोटे कस्बों व गांवों तक में पनपने लगा है। हालात यह हैं कि बड़ों के अलावा बच्चे भी मानसिक समस्याओं से ग्रस्त होने लगे हैं। अकेले महर्षि देवरहा बाबा राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में प्रतिदिन औसतन सौ रोगी मानसिक रोग विभाग में आते हैं। रोगियों की इस बढ़ती संख्या से चिकित्सक, काउंसलर व समाज से सरोकार रखने वाले सभी चिंतित हैं। भारत में इसका प्रमुख कारण संयुक्त परिवार का विघटन, कार्यस्थल पर वर्कलोड और सकर्मियों का असहयोग प्रमुख कारक माना जा रहा है। क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट डॉ. नेत्रिका पांडेय का कहना है कि संयुक्त परिवार में प्रोत्साहन, सहयोग के चलते मानसिक समस्याएं नहीं के बराबर होती थीं। एक दूसरे का सपोर्ट संबल बन जाता था। अब एकल परिवारों के बढ़ते चलन से एकांतिक जीवन बढ़ गया है। ऊपर से मोबाइल के जीवन में स्थान बना लेने से परिवार में आपस में बातचीत समस्याओं को एक दूसरे से शेयर करना कम हो गया है। लोगों के अंदर ईगो, कुंठा, नकरात्मकता घर करती जा रही है। इसके चलते मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही है।
महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कालेज की मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. अम्बू पांडेय के अनुसार मानसिक रोग के कई कारण हैं। आजकल सबसे प्रमुख कारण कार्यस्थल पर कार्य की अधिकता है। कई बार इसमें उच्चाधिकारियों व अन्य सहकर्मियों का असहयोग व्यक्ति को मानसिक रूप से अस्थिर कर देता है। कार्य की अधिकता से उसे घर के लिए समय नहीं मिलता है। इससे वह मानसिक रूप से परेशान हो जाता है। इसके अलावा आनुवंशिक रूप से भिन्नता व इससे उपजे तनाव भी कारण हैं।
मनोरोग चिकित्सक डॉ. अनूप श्रीवास्तव का कहना है कि विश्व में हर आठ में से एक व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार है। इससे व्यक्ति का पारिवारिक, सामाजिक जीवन व कार्य नकरात्मक रूप से प्रभावित हो रहा है। पर समाज में मानसिक रोगों से जुडी भ्रांतियों के कारण बहुत सारे लोग चिकित्सा से वंचित रह जाते हैं। डॉ. अनूप कहते हैं कि अनिद्रा, उदासी, अत्यधिक चिन्ता, घबाराहट, गुस्सा, तोड़फोड़, बार बार सफाई की आदत, दांत लगना, काल्पनिक शंकाएं, कान में आवाज सुनाई देना, अकेले में बोलना, इशारे, बुजुर्गों में भूलने की बीमारी मानसिक रोगों के लक्षण हैं। इसके लिए चिकित्सक से परामर्श कर उचित चिकित्सा लेनी चाहिए। डॉक्टर के बताए अनुसार दवा का पूरा कोर्स अवश्य लें। इससे मानसिक रोगों से छुटकारा मिल सकता है।
मानसिक रोगों से निपटने के लिए उपचार जरुरी है। कई बार रोग की प्रारंभिक स्थितियों में नान फार्माकोलोजिकल मैनेजमेंट से रोगी स्वस्थ हो जाता है। पर गंभीर रोगों में दवा की जरुरत पड़ती है। चिकित्सक मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए सकारात्मक लोगों के बीच रहना, अनुलोम विलोम और अन्य योग व्यायाम, हेल्दी फूड को जीवन में शामिल करने की जरुरत बताते हैं। उपयुक्त जीवन चर्या भी जरुरी है। मोबाइल की जगह परिवार को अधिक समय देना हितकर होता है।