बरहज, हिन्दुस्तान संवाद। मच्छरों के आतंक से पूरा नगर परेशान है। जिनके जिम्मे इसकी
बरहज, हिन्दुस्तान संवाद। मच्छरों के आतंक से पूरा नगर परेशान है। जिनके जिम्मे इसकी जवाबदेही है वे ही मच्छरदानी तानकर सो रहे हैं। नगर पालिका की फागिंग मशीनें भी मच्छर नहीं मार पा रही हैं। कुछ इलाके तो ऐसे भी हैं जहां कई माह से फागिंग तक नहीं हुई। लोग हैरान-परेशान नगर नपा को कोस रहे हैं। फागिंग के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। मुख्य सड़क और कुछ वीआइपी इलाकों में जरूर फागिंग हो रही है।
नपा दो छोटी और एक बड़ी मशीन के भरोसे 25 वार्ड में फागिंग करा रही है। नगर क्षेत्र के अधिकतर इलाकों में छह माह से फागिंग ही नहीं हुई है। बचाव के उपाय न होने से सुबह-शाम कौन कहे दिन में ही मच्छर काटते रहते है। दुकानों के आगे नियमित सफाई न होने से दुकानदारों की मुश्किल बढ़ गई है।
सूर्यास्त से पहले और बाद में होनी चाहिए फागिंग
नगरपालिका अधिनियम के तहत फागिंग करने का भी नियम है। जिस इलाके में फागिंग होनी है वहां एक दिन पहले मुनादी करना जरूरी है। लोगों को बताना होगा कि जिस दिन फागिंग होगी उस दिन अपने दरवाजे और खिड़की बंद रखें। नालियों, कूड़े के ढेर में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव अनिवार्य है। इसके बाद डीडीटी स्प्रे भी होता है। पांच लीटर डीजल में 250 एमएल केमिकल डालने का प्रावधान है। लोगों का कहना है कि मात्रा इससे कम डाली जाती है।
आम लोगों की नहीं सुनते पालिका के कर्मचारी
जयनगर के प्रमोद कुमार कहते हैं, अधिकारियों के एक फोन पर फागिंग हो जाती है। आम जनता फागिंग देखने के लिए तरस गई है। मच्छर तेजी से बढ़ रहे हैं। याद ही नहीं मोहल्ले में हम लोगों के घर की तरफ पिछली बार कब फागिंग हुई थी। नपा के कर्मचरी सुनते ही नहीं।
पलिया के नीलम देवी ने बताया कि मोहल्ले का कोई ऐसा इलाका नहीं बचा है, जहां मच्छरों का प्रकोप न हो। नंदना वार्ड पश्चिमी निवासी तारकेश्वर वर्मा का कहना है कि फॉगिंग के नाम पर सिर कोरम पूरा हो रहा है। अगर कभी फॉगिंग होती भी है तो रात में मुख्य सड़क पर धुंआ उड़ाते हुए चली जाती है। गली मोहल्ले में तो मशीन कभी जाती ही नहीं।