पूरे देश में 66.27 प्रतिशत एमएसएमई इकाईयों का स्वामित्व आरक्षित वर्ग के हाथ में है। सवर्णों व अल्पसंख्यकों के हाथ में 32.95 प्रतिशत उद्यम हैं। बाकी एमएसएमई यूनिट संचालकों ने अपना जातिगत विवरण नहीं दिया है।
पूरे देश में 66.27 प्रतिशत एमएसएमई इकाईयों का स्वामित्व आरक्षित वर्ग के हाथ में है। सवर्णों व अल्पसंख्यकों के हाथ में 32.95 प्रतिशत उद्यम हैं। बाकी एमएसएमई यूनिट संचालकों ने अपना जातिगत विवरण नहीं दिया है। आरक्षित वर्ग में सबसे बड़ी 49.72 प्रतिशत की हिस्सेदारी ओबीसी की है। दलित व अनुसूचित जन जाति वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी क्रमश: 12.45 प्रतिशत व 4.10 प्रतिशत है। एमएमएमई मंत्रालय की हाल में जारी नवीनतम रिपोर्ट में एमएसएमई इकाईयों के स्वामित्व का सामाजिक श्रेणी के हिसाब से सर्वे कर ब्यौरा दिया गया है। इसके मुताबिक शहरों में 58.68 प्रतिशत उद्यमी व ग्रामीण इलाकों में 73.67 प्रतिशत उद्यमी आरक्षित वर्ग से है।
हालांकि सूक्ष्म, लघु उद्योग के मुकाबले मध्यम श्रेणी वाले उद्योगों के स्वामित्व से एसएस व एसटी वर्ग के लोग अभी दूर हैं। एमएसएमई में श्रेणीवार उद्योगों के स्वामित्व का विशलेषण भी हुआ है। इसके मुताबकि सूक्ष्म उद्योगों के स्वामित्व में आरक्षित वर्ग की हिस्सेदारी 66.44 प्रतिशत है। जबकि लघु उद्योग में स्वामित्व में आरक्षित वर्ग की हिस्सेदारी 36.80 प्रतिशत व मध्यम श्रेणी के उद्योगों में स्वामित्व में आरक्षित वर्ग की हिस्सेदारी 24.94 प्रतिशत है।
पूरे देश में एमएसएमई उद्योगों में सबसे बड़ी हिस्सेदारी सूक्ष्म उद्योगों की है। इनकी संख्या 630.52 लाख है। इनके जरिए 1076.19 लाख लोगों को रोजगार मिला है। यह कुल एमएसमएमई के रोजगार का करीब 97 प्रतिशत है। लघु उद्योग 3.31 लाख यानी 0.52 प्रतिशत है। इसमें 31.95 लाख लोगों को रोजगार मिला है। जबकि व मध्यम उद्योगों की संख्या केवल 0.05 लाख (0.01 प्रतिशत)है। इसके जरिए 1.75 लाख लोग रोजगार पा रहे हैं।
विभिन्न सामाजिक वर्गों के स्वामित्व में एमएसएमई प्रतिशत में
श्रेणी एससी एसटी ओबीसी अन्य पता नहीं
ग्रामीण 15.37 6.70 51.59 25.62 0.72
शहरी 9.45 1.43 47.80 40.46 0.86
कुल 12.45 4.10 49.7232.95 0.79