मोहन यादव का यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अक्टूबर तक आरोपियों की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने पर रोक लगा दी थी।
मध्य प्रदेश समेत कई बीजेपी शासित राज्यों में अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर ऐक्शन लिया जा चुका है। हालांकि सीएम मोहन यादव का कहना है कि वह इस संस्कृति के बिल्कुल खिलाफ हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि वह बुलडोजर संस्कृति को पसंद नहीं करते। यह बात उन्होंने आजतक से बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा, मैं बुलडोजर संस्कृति का पक्षधर नहीं हूं। मैंने खुलकर इस मामले में ना भी बोला है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अक्टूबर बुलडोजर ऐक्शन पर रोक लगा दी थी और कहा था कि बिना कोर्ट की अनुमति के एक अक्टूबर तक किसी भी संपत्ति पर बुलडोजर नहीं चलाया जाएगा। हालांकि यह फैसला सार्वजनिक रास्तों, फुटपाथ, रेलवे ट्रैक और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लागू नहीं होगा।
वहीं मध्य प्रदेश की बात करें तो सीएम मोहन यादव ने मुख्यमंत्री बनते ही कई बड़े फैसले लिए थे जिनमें धार्मिक सार्वजनिक स्थानों पर लाउडस्पीकर पर और खुले में मीट बिक्री पर रोक लगा दी थी। इसके बाद बुल़डोजर ऐक्शन भी शुरू कर दिया गया था। मोहन सरकार के बनने के बाद बीजेपी कार्यकर्ता का हाथ काटने वाले आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाया गया था। इसके बाद अब कई अन्य आरोपियों की अवैध संपत्ति पर बुलडोजर चलाया जा चुका है। जब इस बारे में मोहन यादव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह बुलडोजर ऐक्शन को बिल्कुल पसंद नहीं करते। उन्होंने इसे लेकर खुलकर ना भी बोला है। वह इस संस्कृति के पक्षधर बिल्कुल नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में कोर्ट की इजाजत के बिना आपराधिक मामलों में आरोपियों की संपत्ति समेत अन्य संपत्तियों को एक अक्टूबर तक ध्वस्त नहीं करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अगर अवैध रूप से ध्वस्तीकरण का एक भी मामला है तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है। जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने पीठ ने कहा, अगर अवैध ध्वस्तीकरण का एक भी उदाहरण है तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है। पीठ ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई की तारीख एक अक्टूबर तक, इस अदालत की अनुमति लिए बिना कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जाएगी।
शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें आरोप लगाया गया था कि कई राज्यों में आपराधिक मामलों में आरोपियों की संपत्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि संपत्तियों के ध्वस्त करने का “विमर्श” गढ़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के समक्ष एक याचिका दायर की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि चूंकि वह व्यक्ति एक विशेष धर्म से संबंधित था, इसलिए उसकी संपत्ति को ध्वस्त कर दिया गया। विधि अधिकारी ने कहा, “उन्हें आपके ध्यान में ध्वस्तीकरण का एक ऐसा मामला लाना चाहिए जहां कानून का पालन नहीं किया गया हो।”
मेहता ने कहा कि प्रभावित पक्षों ने अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया है, क्योंकि वे जानते हैं कि उन्हें नोटिस मिल चुके हैं और उनका निर्माण अवैध है।
पीठ ने वरिष्ठ विधि अधिकारी से कहा, “आप निश्चिंत रहें, बाहरी शोर हमें प्रभावित नहीं करता।”